रतलाम। गुणावद में जलाशय से पाइप लाइन डालकर लाल पानी की समस्या से ग्रस्त 14 गांवों को शुद्ध पानी देने की योजना बीते 7 सालों से कछुआ चाल से चल रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा वर्ष 2013 में घोषणा किए जाने के बाद से इस योजना का पहले तो स्वरूप बदलता रहा और लेटलतीफी की वजह से इस प्रोजेक्ट की लागत 14 करोड़ से बढ़कर 26 करोड़ तक पहुंच गई है. लेकिन इसके 7 साल बीत जाने के बाद भी दूषित पानी की समस्या से ग्रस्त गांव को अब तक पाइप लाइन से पानी उपलब्ध नहीं करवाया जा सका है. वहीं योजना के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार पीएचई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अप्रैल और मई तक पाइपलाइन की टेस्टिंग की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी और बारिश के बाद इस योजना से गांवों को पानी मिलने लगेगा.
कछुआ चाल से चल रहा है पानी देने की योजना का काम मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद 7 सालो से है पानी का इंतजार
दरअसल रतलाम के औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले अपशिष्ट के कारण वर्षों पहले से क्षेत्र के डोसीगांव, सेजावता, बाजनखेड़ा, जड़वासा खुर्द जैसे गांव दूषित पानी की समस्या से ग्रस्त हैं. जहां अधिकांश नल कूपों में पीने योग्य पानी उपलब्ध ही नहीं है. दूषित पानी की समस्या से ग्रस्त इन 14 गांव को पानी देने के लिए गुणावद जलाशय से पाइप लाइन के माध्यम से पीने का पानी उपलब्ध करवाने की योजना की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2013 में की थी. वहीं गुणावद और सेमलिया सहित चार अन्य गांव को भी इस पाइप लाइन से जोड़ा जाना था.
26 करोड़ पहुंची लागत
शुरुआत में इस योजना की लागत करीब 14 करोड़ आंकी गई थी, लेकिन बाद में योजना के स्वरूप में परिवर्तन करने और लेटलतीफी की वजह से अब इस योजना की लागत 26 करोड़ हो चुकी है. वहीं गुणावद डैम पर संपवेल और फिल्ट्रेशन प्लांट बनाने का कार्य बीते एक साल से जारी है. पाइप लाइन डालने का कार्य भी निर्माण कंपनी द्वारा किया जा रहा है, लेकिन इस योजना की कछुआ चाल को देखते हुए ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है.
निर्माण एजेंसी का दावा अप्रैल-मई तक पाइपलाइन की टेस्टिंग हो जाएगी शुरू मध्य प्रदेश जल निगम द्वारा लगभग 26 करोड रुपए की लागत से इस परियोजना का कार्य करवाया जा रहा है. वहीं इस पीएचई विभाग के अधिकारी की मानें तो जल निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस योजना का कार्य अप्रैल मई तक पूर्ण कर पाइपलाइन की टेस्टिंग शुरू कर दी जाएगी. लेकिन कछुआ चाल से चल रही एप्स पाइप लाइन योजना पर अब ग्रामीणों को भी यकीन नहीं है. सात सालों से इस योजना के पानी का इंतजार कर रहे ग्रामीणों को इस वर्ष भी पाइप लाइन से पानी मिलने की उम्मीद नहीं है। इस योजना से लाभान्वित होने वाले अधिकांश गांव में नल जल योजना के अंतर्गत पानी की टंकी बनकर तैयार है लेकिन गुणावद जलाशय से पाइप लाइन डालने के कार्य में हो रही देरी की वजह से पानी की टंकियां और नल जल योजना के नल बंद पड़े हुए हैं.
बहरहाल दूषित पानी की समस्या से ग्रस्त गांवों को पानी देने के लिए बनाई गई, इस महत्वकांक्षी योजना को कभी प्रशासनिक तो कभी नगर निगम और पीएचई विभाग की खींचतान की वजह से धरातल पर आने में सात साल लग चुके हैं. लेकिन लाल पानी की समस्या से ग्रस्त गांवों को पीने के पानी का इंतजार है.