राजगढ़। मध्य प्रदेश में कुपोषण कम होने की बजाए बढ़ता जा रहा है. प्रदेश का लगभग हर जिला कुपोषण की जद में नजर आता है. कुपोषण के मामले में राजगढ़ जिले के हाल भी ठीक नहीं है. जिलेभर में लगभग 13 हजार से ज्यादा बच्चे मध्यम और अति कुपोषण का शिकार हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राजगढ़ जिले के आंकड़े बताते हैं कि यहां पर मध्यम और अति कुपोषित बच्चे काफी संख्या में उपस्थित है. जो बच्चे अति कुपोषित होते हैं उनकी संख्या 1 हजार491 है. जबकि कम वजन जो कुपोषित की श्रेणी में आता है ऐसे बच्चों की संख्या 12 हजार 394 हैं. कुपोषण के चलते जिले के एनआरसी केंद्रों में भारी संख्या में कुपोषित बच्चे भर्ती है.
कुपोषण की जद में राजगढ़ जिला इस बारे में जब जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रसेना भिड़े से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिले में 13885 बच्चे कुपोषण का शिकार है. इन बच्चों को ज्यादा समय नहीं लगता है और यह सिम में शामिल हो जाते हैं. इनको कुपोषण से मुक्त करने के लिए अभी जिला कलेक्टर द्वारा एक योजना तैयार की गई थी. जिसमें 375 बच्चों को सेम फ्री के तहत कुपोषण से बाहर निकालने के लिए विभिन्न अधिकारियों को बच्चों पर ध्यान रखने के लिए गोद दिलवाया गया था.
जागरुकता की कमी है कुपोषण का कारण
राजगढ़ जिले में लोगों में जागरूकता की कमी को कुपोषण का सबसे बड़ा कारण बताया गया है. जिले के ग्रामीण अंचल में कुपोषण के प्रति लोग जागरुक नजर नहीं आते हैं. कम उम्र में शादी होना. बच्चे के जन्म के बाद ठीक से उसकी देखभाल न हो पाना. ये ऐसी समस्याएं है जो बच्चों में कुपोषण का बड़ा कारण मानी जाती है. जिसके चलते जिले में लगातार कुपोषण के मामले बढ़ते जा रहे हैं.
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब जिले भर में 13 हजार से भी ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार है तो फिर यह योजना कितनी कारगर साबित होगी. अधिकारी कुछ भी कहे लेकिन राजगढ़ जिला कुपोषण का दंश झेल रहा है और बच्चे लगातार इस बीमारी से ग्रसित हैं. जो जिले के भविष्य के लिए चिंताजनक है.