रायसेन। मंडीदीप इंडस्ट्रियल एरिया में कोरोना के इक्का-दुक्का मामले ही सामने आए हैं. लिहाजा यहां पलायन जैसे हालात तो फिलहाल नहीं है, पर इंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों और क्षेत्रीय मजदूरों में आज भी अपने रोजगार और लॉकडाउन को लेकर डर बना हुआ है.
खाने के लाले पड़ सकते हैं
पिछले लॉकडाउन में कई प्रवासी मजदूरों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा था, तो वहीं कई फैक्ट्रियां बंद हो गई थी, जिसका सीधा असर लोगों की आय पर पड़ा. कई मजदूर लॉकडाउन के समय वाहन न मिलने के चलते अपने गांव नहीं पहुंच पाए, तो कई मजदूरों के सामने खाने-पीने की दिक्कत आने लगी. फिलहाल मजदूर अपने कामों में लगे हुए हैं, पर कोरोना वायरस की दूसरी लहर और प्रशासन के सख्त रवैया की सूचनाओं ने इन मजदूरों के दिलों में डर पैदा कर दिया है. मजदूरों को डर है कि अगर फिर से लॉकडाउन लगता है या प्रशासन सख्ती बरतता है, तो उन्हें खाने के लाले पड़ सकते हैं.
मजदूरों को सताने लगा लॉकडाउन का डर लॉकडाउन: मजदूरों के पलायन का अंदेशा! उद्योगों ने किया पूरा इंतजाम
मंडीदीप इंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वाले कामगारों ने बताया कि पिछले लॉकडाउन के समय सभी मजदूरों का रोजगार छिन गया था. हमारे पास खाने, पीने और रहने की व्यवस्था नहीं थी. सारी फैक्ट्रियां बंद थी. कई मजदूर ऐसे थे, जो दूसरे राज्यों से यहां काम करने आए थे. इन मजदूरों के पास अपने गांव जाने तक के पैसे नहीं थे. लिहाजा कई मजदूर पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़े, जिसमें कुछ मजदूरों की मौत हो गई.
बिहार के एक मजदूर का कहना है कि वह पिछले 10 सालों से अपने गांव नहीं जा पाए है. लॉकडाउन के समय जब फैक्ट्रियां बंद हो गई थी, तो उन्होंने अपने गांव जाने का सोचा, पर गांव जाने के लिए संसाधन उपलब्ध न होने और पुलिस की सख्ती के चलते उन्हें यहीं रुकना पड़ा.