रायसेन। अजब एमपी की गजब शिक्षा व्यवस्था की ये तस्वीरें इस बात की तस्दीक कर रही हैं कि शिक्षा का गुड़-गोबर नहीं हुआ है, बल्कि गोबर में ही शिक्षा व्यवस्था रेंग रही है क्योंकि यहां एक नहीं बल्कि कई योजनाओं की हवा निकल रही है. चौतरफा फैली गंदगी, बंद पड़े क्लासरूम, बदहाल शौचालय, गिने चुने बच्चे, स्कूल से गायब शिक्षक और बची खुची कसर इलाके के आवारा पशु पूरी कर देते हैं. जो गुरूजी और बच्चों की गैर मौजूदगी में उनकी मौजूदगी का एहसास कराते हैं.
गंदगी-गोबर के बीच संवर रहा देश का भविष्य, शिक्षा के मंदिर में जानवर पढ़ रहे 'अ' से अनार
एक तरफ प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए पैसे पानी की तरह बहा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शिक्षा की स्थिति दयनीय है. पढ़िए ये खास रिपोर्ट
रायसेन जिले के भीलों का टोला गांव स्थित सरकारी स्कूल सिस्टम की बेरुखी की दास्तां बयां कर रही है. जो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की नाकामी उजागर करने के लिये काफी है. यहां गोबर-गंदगी के बीच देश का भविष्य संवारा जा रहा है. पहली तस्वीर सूबे के स्कूली शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी के निर्वाचन क्षेत्र सांची से मजह 20 किलोमीटर दूर ब्यावरा की है. जहां तीन कक्षाओं के लिए पदस्थ गुरूजी रोजाना गायब रहते हैं.
सांची में जिस शख्स ने स्कूल खोला, उसे गुरूजी ने 1500 रुपये मेहनताने पर रख दिया. स्कूल खोलने वाले शंकर जाटव ने बताया कि टीचर मीटिंग में गए हैं, जबकि सरकार का ऐसा कोई नियम नहीं है कि मीटिंग में जाने के लिये स्कूल खुला ही छोड़ा जाये.