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MP Seat Scan Udaipura: रायसेन की इस सीट पर कांग्रेस-बीजेपी का खट्टा-मीठा स्वाद, जानिए क्या है सियासी मिजाज - उदयपुरा का जातीय समीकरण

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे रायसेन जिले के उदयपुरा सीट के बारे में. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस का लगभग बराबरी का दबदबा रहा. इस सीट पर जीत के लिए दोनों ही पार्टियों ने अपने अपने स्तर पर चक्रव्यू रचना शुरू कर दिया है. जानें क्या हैं यहां के सियासी समीकरण.

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उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र

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Published : May 31, 2023, 6:09 AM IST

रायसेन:2023 साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव का शोर मध्य प्रदेश के उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र में भी सुनाई देने लगा है. गांव कस्बों की चौपालों से लेकर शहर की चाय की दुकानों पर बैठकर राजनीतिक के माहिरों ने चुनावी चर्चाएं शुरू कर दी हैं. मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा में से एक उदयपुरा विधानसभा रायसेन जिले में आने वाली 4 विधानसभाओं में से एक है. जहां पर 1977 में पहली बार चुनाव हुआ था. अभी तक हुए चुनावों में जहां 6 बार बीजेपी तो चार बार कांग्रेस के उमीदवारों की जीत हुई है. इस साल के अंत में होने वाला चुनाव दोनों ही पार्टियों के लिए आम नहीं होने वाला है दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर है. जीत के लिए दोनों ही पार्टियों ने अपने अपने स्तर पर चक्रव्यू रचना शुरू कर दिया है तो वहीं कार्यकर्ताओं में भी सक्रियता बढ़ गई है.

उदयपुरा का सियासी ताना-बाना: बात अगर उदयपुरा विधानसभा की सियासी बिसात की की जाए तो यहां पर हमेशा से ही भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच में आपस में कड़ी टक्कर रही है. यहां कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस का दबदबा बना रहता है. यह विधानसभा जिले की अन्य विधानसभाओं की अपेक्षा हमेशा से परिवर्तन के लिए जानी जाती है. कभी भी यह विधानसभा किसी एक पार्टी का गढ़ बन कर नहीं रही है. इस विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस के बीच द्विपक्षीय मुकाबला देखने को मिलता है. 2008 में यह विधानसभा कांग्रेस के खाते में गई तो साल 2013 यहां भाजपा सत्तासीन हुई 2018 में हुए आम चुनावों में यहां पर फिर से कांग्रेस ने जीत दर्ज की. उदयपुर विधानसभा में इस बार उम्मीदवार का चयन करना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है यही कारण है कि चुनाव के पहले ही उम्मीदवारों का चयन हो पाता है.

उदयपुरा विधानसभा सीट के नतीजे

हार जीत का लेखा जोखा:2008 में हुए चुनाव पर नजर डाली जाए तो कांग्रेस के भगवान सिंह राजपूत भाजपा के भागवत सिंह पटेल से 1434 के मर्ज़िन से जीते थे. जहां कांग्रेस के भगवान सिंह राजपूत को 45027 वोट तो वहीं भाजपा के भागवत सिंह पटेल को 43593 वोट के साथ हार का सामना करना पड़ा. 2013 में हुए चुनाव में भाजपा के उमीदवार रामकिशन पटेल ने 90 हजार 950 वोट हासिल करते हुए कांग्रेस के उमीदवार भगवान सिंह राजपूत को शिकस्त दी. कांग्रेस उम्मीदवार को इस चुनाव में 46 हजार 897 वोट ही मिल सके दोनों ही उम्मीदवारों के बीच हार जीत का अंतर 44 हजार 053 रहा.

2018 विधानसभा चुनाव

2018 विधानसभा चुनाव: 2018 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने फिर से इस विधानसभा अपनी जीत दर्ज की. चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार देवेंद्र पटेल गडरवास 86 हजार 441 को वोट मिले तो भाजपा के रामकिशन पटेल को 78 हजार 440 के साथ हार का सामना करना पड़ा. भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच जीत का अंतर लगभग 8 हजार वोटों का था.

क्या है वर्तमान स्थिति: हर बार की तरह इस बार भी यह मुकाबला द्विपक्षीय रहने वाला है. 5 साल बाद भाजपा वापसी का सपना देख रही है तो वहीं कांग्रेस को भितरघात की चिंता है. कांग्रेस के कई दावेदार यहां से टिकट मांग रहे हैं. यही स्थिति भाजपा की है रामकिशन पटेल की हुई हार के बाद यहां कई दावेदार टिकट मांगने के लिए खड़े हो गए हैं. टिकट ना मिलने से भितरघात की समस्या पैदा हो सकती है. इस बार के चुनाव में हर बार की तरह दोनों ही पार्टियां क्षेत्रीय लोगों पर दाव लगा सकते हैं.

उदयपुरा विधानसभा सीट का जातीय समीकरण

जातीय समीकरण:उदयपुर विधानसभा के नतीजों में जातिगत आंकड़े बहुत प्रभावी होते हैं, हर पार्टी उसी नेता को टिकट देती आ रही है. जिसके वोट निर्णायक यही वजह है कि भाजपा कांग्रेस अब तक जाति बहुल राजपूत, किरार पटेल पर दाव लगाती आ रही हैं.

उदयपुरा के विधानसभा सीट के मतदाता

विधानसभा के मतदाता: उदयपुरा विधानसभा 2 लाख 35 हज़ार 899 कुल मतदाता हैं. जिसमें 1 लाख 25 हज़ार 866 पुरुष व 1 लाख 10 हज़ार 33 महिला मतदाता हैं. इन 2 लाख 35 हज़ार 899 मतदाताओं में 60 फीसदी के लगभग युवा मतदाता है मतलब इस बार के चुनाव में युवाओं को रिझाने हर पार्टी के प्रत्याशी की पहली प्राथमिकता रहेगी.

उदयपुरा के जमीनी मुद्दे

जनता से जुड़े जमीनी मुद्दे:उदयपुर के मतदाताओं का कहना है कि शहर की मुख्य सड़कें जर्जर हालत में हैं. कई ग्रामीण क्षेत्रों में तो सड़कें ही नहीं हैं ग्रामीणों को अपनी उपज दूर ले जाकर बेचना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े वाहनों का प्रवेश नहीं हो पाता विकास के नाम पर सिर्फ दिखावा किया गया है. हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती यही कारण है कि उन्हें पढ़ाने के लिए दूरदराज के इलाकों में भेजना पड़ता है. युवाओं के लिए क्षेत्र में कोई रोजगार नहीं है. क्षेत्र का 50% से ज्यादा युवा रोजगार की तलाश में पलायन करने को मजबूर रहता है.

क्या कहते हैं पार्टी के लोग: भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष राकेश शर्मा का कहना है कि हर चुनाव जीत के उद्देश्य लड़ा जाता है कई बार हार भी होती है इस बार भारतीय जनता पार्टी ने कमर कस ली है चारों विधानसभाओं में भारतीय जनता पार्टी की ही जीत होगी. भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं. बूथ स्तर पर समितियों का गठन किया गया है जो हर बूथ पर मोर्चा संभालेंगी. जिले के बुद्धिजीवी संतोष मालवीय ने चुनावों पर अपनी राय रखते हुए कहा कि क्षेत्र में विकास के तमाम मुद्दे हैं पर चुनाव आते ही क्षेत्र की राजनीति विकास से हटकर जातिगत हो जाती है. मतदाता जाति बहुल उम्मीदवार को ही अपना मत देता है.

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