रायसेन।अवैध रेत उत्खनन के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं. खनिज विभाग के उदासीन रवैया के चलते अब खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं, जो बंदूक की नोक पर लोगों को डरा-धमका कर ट्रकों से रेत खाली करा रहे हैं. बिना अनुमति और रॉयल्टी के हो रहे अवैध उत्खनन और परिवहन से सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि तो हो ही रही हैं. इसके साथ ही मशीनों से हो रहे खनन से नर्मदा का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा हैं.
रायसेन से होकर गुजरने वाली नर्मदा नदी के तटों पर मिलने वाली रेत सोने से कम नहीं है. बंदूक की नोक पर रेत से भरे ट्रकों को रोका जाता हैं. ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण के चलते अवैध खनन का यह खेल जोरों पर चल रहा हैं, जिसमें बड़े नेताओं के कई ऑडियो भी वायरल हो चुके हैं.
हर स्तर पर राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों का कमीशन बंधा हुआ हैं. इसका ही परिणाम है कि अवैध उत्खनन इतने जोरों से फल-फूल रहा हैं. वर्ष 2020 में 56 रेत की खदानों का ठेका राजेंद्र रघुवंशी को तीन वर्षों के लिए दिया गया था. साथ ही रेत के अवैध परिवहन को रोकने के लिए जिले की सीमाओं पर सात खनिक जांच चौकियां स्थापित की गई थी, लेकिन ठेकेदार द्वारा मासिक किस्त का भुगतान न करने के कारण ठेकेदार के बालू खनन का लाइसेंस खनिज विभाग द्वारा रद्द कर दिया गया. इसके साथ ही जिले की सीमा पर स्थित खनिज जांच चौकी को भी बंद कर दिया गया.
खनिज विभाग ने वर्ष 2020-21 में अवैध बालू खनन और परिवहन के 199 प्रकरण दर्ज कर एक करोड़ पंद्रह लाख नौ हजार पच्चीस रुपए की वसूली की. मौजूदा वित्तीय वर्ष में 25 प्रकरण दर्ज कर चार लाख 22 हजार 500 रुपये का जुर्माना वसूला गया. वहीं, रेत खदान का ठेका रद्द होने से सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ हैं.
बंदूक की नोक पर खाली कराए डंपर
सिलवानी तहसील अंतर्गत स्टेट हाईवे-15 के पास 9 जून की सुबह करीब साढ़े तीन बजे कुछ अज्ञात लोगों ने बंदूक की नोक पर बालू लेकर आ रहे आठ डंपरों को रोककर चालकों पर हमला बोल दिया. यह डंपर संसारखेड़ा नर्मदा घाट से बम्होरी होते हुए विदिशा जा रहे थे, तभी आरोपियों द्वारा घटना को अंजाम दिया गया.