मुरैना। लोकसभा चुनाव में मुरैना-श्योपुर सीट पर ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है. पिछले 6 लोकसभा चुनावों में लगातार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्यासी चुनाव जीतते रहे है. इसके पीछे राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इन लोकसभा सीटों पर सिंधिया राज घराने के प्रभाव के कारण जन संघ और उसकी विचार धारा वाली राजनीतिक पार्टी बीजेपी के पक्ष में परिणाम आते रहे हैं.
स्वतंत्रता के बाद लोकतांत्रिक व्यवस्था में मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट के लिए जनता द्वारा प्रत्यक्ष मतदान होना शुरू हुआ तब से आज तक जन संघ , जनता पार्टी और संघ की विचार धारा वाली राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को अधिक बार विजय मिली है, और अगर हार मिली है तो बहुत ही कम अंतर से.
बता दें कि 1993 के बाद हुए आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को लगातार विजय मिल रही है. आरक्षित सीट पर भारतीय जनता पार्टी के अशोक अर्गल को लगातार 4 बार मुरैना-श्योपुर से जीत चुके है. वहीं 2009 में यह सीट सामान्य हो गई और यहां से बीजेपी नेता नरेंद्र सिंह तोमर की दिल्ली जाने का अवसर मिला. 2014 में बीजेपी से अटल विहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा को उम्मीदवार बनाया , जो एक लाख से अधिक मतों से विजयी होकर लोकसभा पहुंचे थे.
राजनीतिक जानकारों और संघ के वरिष्ट पदाधिकारी और जनसंघ के संस्थापक सदस्य राधेश्याम गुप्ता का कहना है कि जन संघ या बीजेपी की जीत का कारण ग्वालियर रियासत का अंचल में प्रभाव होना है.जिसे महल का समर्थन मिला अंचल में वहीं चुनाव जीतता है. 70 के दसक में राजमाता विजयाराजे ने जनसंघ की सदस्यता ली, उसके बाद मुरैना-श्योपुर लोकसभा में जनसंघ, जनता पार्टी और अब भारतीय जनता पार्टी जितने लगी. भले ही माधवराव सिंधिया कांग्रेस के नेता होते थे, पर राजमाता विजया राजे सिंधिया बड़ी थी और उनके आगे लोगों पर माधव राव का प्रभाव नहीं होता था और जनता जनसंघ फिर जनता पार्टी के पक्ष में वोटिंग करती थी. फिर धीरे धीरे जन संघ की जड़े मजबूत होने लगी और हिंदूवादी विचार धारा का प्रभाव पूरे इलाके में अपनी जड़े जमाता चला गया.