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बदहाल व्यवस्था के साथ कैसे करेंगे कोरोना की तीसरी लहर का सामना, ये है अस्पतालों की हकीकत

कोरोना महामारी को लेकर मुरैना प्रशासन और स्वास्थ विभाग भगवान भरोसे है क्योंकि यहां कोरोना की तीसरी लहर के लिए कोई इंतजाम नहीं है खासकर जिले में बच्चों की डॉक्टरों की कमी है.

Third wave of corona may come, dangerous for children
आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर, बच्चों के लिए खतरनाक

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Published : May 29, 2021, 10:55 AM IST

मुरैना।पूरे देश के साथ-साथ मध्यप्रदेश में अब दूसरी लहर धीरे-धीरे खत्म हो रही है. वहीं अब इसकी तीसरी लहर की भी आशंका जताई जा रही है, लेकिन अभी से देश के वैज्ञानिक और डॉक्टर तीसरी लहर को लेकर चिंतित है क्योंकि जानकारों के मुताबिक तीसरी लहर बच्चों को सबसे ज्यादा संक्रमित कर सकती है. यही वजह है कि जिला प्रशासन ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां करना शुरू कर दी है. वहीं मुरैना जिले की जनसंख्या 22 लाख 50 हजार के करीब है, जिनमें से 5 साल के बच्चों की संख्या लगभग ढाई लाख के आसपास है और बाकी बच्चों को मिलाकर 5 लाख बच्चों की संख्या है.

जिला अस्पताल में नहीं पर्याप्त इलाज

जिले में बच्चों के 16 डॉक्टर

मुरैना जिले में बच्चों के डॉक्टरों की संख्या मात्र 16 है, ऐसे में आंकड़ों के मुताबिक जिले में 36 हजार बच्चों पर एक डॉक्टर माना जा रहा है. अगर जिले में कोरोना की तीसरी लहर आती है तो क्या यह डॉक्टर स्थिति को संभाल पाएंगे. कोरोना की तीसरी लहर ने लोगों को बता दिया है कि ये बीमारी कितनी खतरनाक है. इस बीमारी से जिन परिवारों के सदस्यों की मौत हुई है वो अभी इससे उबर नहीं पाए हैं. इधर तीसरी लहर आने की चर्चाएं बड़ी जोरों पर चल रही है तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक बताई जा रही है इसलिए 18 साल से ज्यादा उम्र वालों को वैक्सीन बड़ी तेजी से लगाई जा रही है सवाल अब उन बच्चों का है जिनको वैक्सीन लगना तो दूर अभी तक वैक्सीन आ ही नहीं है.

जिले में लापरवाही का आलम जारी

मुरैना जिले के ग्रामीण इलाको में सबसे ज्यादा लापरवाही बरती जा रही है ना तो बच्चे और ना ही बड़े मास्क लगा रहे है. ऐसे में कोरोना संक्रमण फैलने की अधिक आशंका है जिले के ग्रामीण इलाकों की जनसंख्या सबसे अधिक है इन इलाकों में बच्चों के डॉक्टरों की कमी भी है. ऐसे में अगर ग्रामीण इलाकों के बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए तो उनका बेहतर इलाज कैसे होगा, इस विषय में जिला स्तर पर अभी तक कोई रणनीति तैयार नहीं हुई है हांलाकि अच्छी बात यह है कि लगभग हर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में शिशु रोग चिकित्सक है.

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जिले के अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों का हाल

  • जिले के अम्बाह अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद शर्मा पदस्थ है.
  • जिले के पोरसा अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्ञान प्रकाश प्रसाद पदस्थ है.
  • जिले के सबलगढ़ अस्पताल में डॉ. कमल किशोर दंडोतिया पदस्थ हैं.
  • जिले के जौरा अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.गोविंद पवार पदस्थ थे लेकिन वर्तमान में उनकी ड्यूटी श्योपुर जिले के विजयपुर में लगा दी गई है.
  • जिले के कैलारस अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एके गुप्ता पदस्थ हैं.
  • जिले के नूराबाद अस्पताल में कोई शिशु रोग विशेषज्ञ पदस्थ नहीं हैं.
  • जिले के सुमावली अस्पताल में कोई शिशु रोग विशेषज्ञ पदस्थ नहीं हैं.
  • जिले के पहाड़गढ़ अस्पताल में कोई शिशु रोग विशेषज्ञ पदस्थ नहीं हैं.
  • जिले के झुंडपुरा स्वास्थ्य केंद्र पर कोई शिशु रोग विशेषज्ञ पदस्थ नहीं हैं.

जिला अस्पताल में बच्चों के डॉक्टर

मुरैना जिला अस्पताल में बच्चों के डॉक्टर सीएमएचओ डॉ. एडी शर्मा और सिविल सर्जन डॉ.अशोक गुप्ता को छोड़ दिया जाए तो जिला अस्पताल में मात्र 5 डॉक्टर ही बचते है.

1. डॉ. राहुल गुप्ता
2. डॉ. बृजेश कटारे
3. डॉ. नरेश गोयल
4. डॉ. दिलीप राठौर
5. डॉ. देशराज गुर्जर

वहीं इसके अलावा जिला अस्पताल के (SNCU) केयर यूनिट में बच्चों के 4 डॉक्टर पदस्थ है.
1. डॉ. विकास शर्मा
2. डॉ. राकेश शर्मा
3. डॉ. अंशुल तोमर
4. डॉ. बनवारी लाल गोयल

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