मुरैना। लघु वन उपज का सबसे महंगा पौधा गुग्गल चंबल के बीहड़ से विलुप्त होता जा रहा है. वनस्पति विज्ञान में इसे कमिफोरा वाईटी के नाम से जाना जाता है. चंबल के बीहड़ों में यह बहुत तादाद में पाया जाता था, लेकिन देखरेख के अभाव में अब यह विलुप्त होता जा रहा है. अब वन विभाग अनुसंधान की टीम बीहड़ों में गुग्गल का बीज तलाश कर रही है. गुग्गल की अंतरराष्ट्रीय मार्केट में यह बहुत महंगा है.
वन विभाग उगाएगा गुग्गुल का पौधा 450 हेक्टेयर जमीन पर लगाया जाएगा गुग्गल
मुरैना वन विभाग अधिकारी अमित निकम के अनुसार गुग्गल के प्लांटेशन के लिए वन विभाग दो अलग -अलग जगहों पर इसका प्रोजेक्ट तैयार कर प्लांटेशन की तैयारी कर रहा है, जिसके लिए चंबल के बीहड़ो में 450 हेक्टेयर जमीन की तलाश की जा रही है, जिसमें कुछ जमीन वन विभाग की है. यहां गुग्गल का प्लांटेशन तैयार किया जाएगा. गुग्गल 60 प्रकार की बीमारियों में औषधि का कार्य करता है. गुग्गल ल एक तरह का छोटा पेड़ है इसकी कुल ऊंचाई 3 से 4 मीटर तक होती है.
वन विभाग उगाएगा गुग्गुल का पौधा पाकिस्तान और अफगानिस्तान से खरीदा जाता है गुग्गल का पौधा
नेशनल मेडिसन प्लांट बोर्ड दिल्ली और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की संयुक्त सर्वे के अनुसार भारत में गुग्गल के प्रति साल पैदावार 10 टन है, जबकि भारत में प्रतिवर्ष 2200 टन की होती है. ऐसे में करोड़ों रुपए खर्च कर हर साल भारत, सिंध के पाकिस्तान और अफगानिस्तान से गुग्गल खरीदता है. इसका गोंद 2 हजार रुपए किलो और बीज 10 हजार रूपए किलो के हिसाब से बिकता है. ऐसे में वनस्पति माफिया इसके पेड़ से गोंद निकालने के लिए केमिकल का प्रयोग करते हैं, जिससे गोंद तो बड़ी मात्रा में निकलता है, लेकिन पौधा मर जाता है. वहीं इसका बीज भी 48 घंटे तक ही जीवित रहता है.
वन विभाग उगाएगा गुग्गुल का पौधा रोगों में इस तरह फायदेमंद है गुग्गुल
- हड्डियों की सूजन, चोट और दर्द होने पर गुग्गुल का सेवन करना चाहिए, यह हड्डियों की परेशानियों में राहत देता है.
- घुटने के दर्द को दूर करने के लिए गुग्गुल का गोंद फायदेमंद है
- शरीर के तंत्रिका तंत्र मजबूत करता है
- मुंह के छाले और घाव को आसान से ठीक करता है.
- गुग्गुल से बालों का गंजापन दूर होता है.
- पेट की पुरानी से पुरानी बीमारी को ठीक करता है
- मोटापा घटाने में गुग्गुल फायदेमंद होता है
- इसके अलावा दमा रोग,कान की समस्या, थायराइड, जोड़ों के दर्द सहित अन्य बीमारियों में काम आता है.