मुरैना। पूरा देश कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए कठोर से कठोर कदम उठाने में लगा है. जिसके तहत जनता कर्फ्यू से लेकर 21 दिन के टोटल लॉकडाउन का निर्णय सरकार को लेना पड़ा. वहीं मुरैना में हालात कुछ अलग ही हैं यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो इसके लिए कलेक्टर के आदेश से दूध फल और सब्जी की दुकानों को बंद कर दिया गया है. लेकिन सैकड़ों की संख्या में लोग यहां फैक्ट्रियों में काम कर रहे हैं.
ये कैसा कर्फ्यू ? दूध-फल और सब्जी की दुकान बंद, लेकिन फैक्ट्रियां चालू
मुरैना में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो इसके लिए कलेक्टर के आदेश से दूध फल और सब्जी की दुकानों को बंद कर दिया गया है. लेकिन सैकड़ों की संख्या में लोग फैक्ट्रियों में अब भी काम कर रहे हैं.
केंद्र सरकार ने पूरे देश में टोटल लॉकडाउन की घोषणा की थी, जिसके पालन के लिए मुरैना में भी आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर सभी व्यावसायिक और औद्योगिक प्रतिष्ठान बंद कराए गए थे. यही नहीं शासकीय और अशासकीय कार्यालयों के भी अवकाश घोषित कर दिए गए थे. लेकिन इसके बाद भी कोरोना वायरस के संक्रमण से मुरैना जिला पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो सका और बीते रोज कोरोना वायरस पॉजिटिव दो लोग सामने आए. इसके बाद कलेक्टर प्रियंका दास ने मुरैना में कर्फ्यू की घोषणा तो कर दी. लेकिन फैक्ट्रियों को चालू करने की अनुमति जारी रखी है.
कर्फ्यू के दौरान जिन फैक्ट्रियों या औद्योगिक इकाइयों में 200 से 500 की संख्या में मजदूर काम करते हैं, उन्हें चालू रखने की अनुमति दी गई है. यह बात समझ से परे है कि सोशल डिस्टेंसिंग बनाने के लिए लोगों को घर पर राशन पहुंचाया जा रहा है, दूध और सब्जी की दुकान बंद कर दी गई हैं, अत्यावश्यक दुकानों को छोड़कर मेडिकल बाजार भी पूरी तरह बंद कर दिया है और बड़ी संख्या में फैक्ट्रियों को चालू करने की अनुमति देकर हजारों मजदूरों के जीवन को संक्रमण की चपेट में जाने के लिए धकेल दिया जा रहा है.