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मध्य प्रदेश के अनूठे सर्पलोक (Snake World of MP) में इंसानी दखल - Python in Mandla

मंडला जिले के ककैया बीट में लगभग 218 हेक्टेयर में फैले वन क्षेत्र में अजगरों की पूरी बस्ती हैं (Snake World of MP). यहां बड़ी तादाद में अजगर पाए जाते हैं. लेकिन ये अजगर इंसानी दखल के बाद अब इनके ही हैबिटेट जोन में असुरक्षित हैं. प्रशासन ने इसे लेकर अब तक कोई खास कदम नहीं उठाया है.

Mandla
अनूठा सर्पलोक

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Published : Dec 29, 2020, 4:21 PM IST

मंडला। जिले में एक ऐसा स्थान है जहां अजगरों की पूरी बस्ती है. यहां एक साथ दर्जनों की संख्या में अजगरों का दीदार किया जा सकता है. इसे मध्य प्रदेश का सर्प लोग भी कहा जाता है (Snake World of MP). लेकिन प्रशासन की तरफ से अजगरों के संरक्षण के लिए अब तक कुछ नहीं किया गया और अब इंसानी दखल के चलते अपने हैबिटेट जोन में ही ये अजगर सुरक्षित नहीं हैं.

अजगर दादर को संरक्षण की जरुरत

अजगर एक ऐसा जीव है जो खुद को बचाए रखने के लिए तकरीबन 6 माह कुछ खाता पीता नहीं है, बस शीत-निष्क्रियता में चला जाता है, लेकिन अब इसके नेचुरल हैबिटेट जोन में ही इंसानी दखल के चलते अनुकूल परिस्थितियां नहीं मिल पा रहीं और इनकी आबादी पर ही खतरा मंडरा रहा है.

अनूठी अजगरों की बस्ती

जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर ककैया बीट में एक ऐसा स्थान है, जहां लगभग 218 हेक्टेयर में फैले वन क्षेत्र में अजगरों की पूरी बस्ती है. सैकड़ों की तादाद में रहने वाले ये अजगर ठंड के समय शीत-निष्क्रियता वाले स्थानों में चले जाते हैं और इस मौसम में खाना पीना छोड़ कर बस खुद को बचाने के लिए धूप का सहारा लेते हैं. अजगर दादर नाम के इस स्थान में सतह से भीतर जाते बिलों से बड़ी संख्या में 5 से 22 फुट तक लंबे अजगर बाहर निकल कर धूप सेंकते हुए आसानी से देखे जा सकते हैं. जानकारों के मुताबिक यह जगह भीतर से खोखली है और दूसरी जगहों के मुकाबले यहां का तापमान ज्यादा होता है. साथ ही आस पास लैंटाना की झाड़ियों और वन क्षेत्र में रहने वाले चूहे, जमीन पर रेंगने वाले छोटे जीव, खरगोश, पक्षी इनके खाने के लिए उपलब्ध हैं, यही वजह है कि यह अजगरों के रहने और सन्तानोत्पत्ति के लिए प्रकृतिक आदर्श स्थान है.

अनूठा सर्पलोक

बढ़ रहा इंसानी दखल, सुरक्षा और संरक्षण पर सवाल

तकरीबन एक दशक से यह स्थान लोगों की नजर में आया है और तभी से यहां दूर-दूर से लोग प्राकृतिक रूप से रह रहे अजगरों का दीदार करने आते हैं. उन्हें निराश भी नहीं होना पड़ता, लेकिन शासन-प्रशासन की तरफ से इन अजगरों के साथ ही आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कोई भी इंतजाम नहीं किए गए है. ऐसे में अपने को ठंड से बचाने धूप का सहारा लेते अजगरों को बाहर निकल कर धूप सेंकने में परेशानी तो होती ही है और लोगों की भीड़ के चलते बार बार भीतर बिलों में जाना पड़ता है और अजगर खुल कर धूप नहीं ले पाते और अधिक ठंड उनकी आबादी पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है.

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क्या हों व्यवस्थाएं ?

  • सबसे पहले तो इस स्थान को अजगर की प्रजाति बचाने के लिए अगजर संरक्षण उद्यान घोषित किया जाना चाहिए.
  • इसके अलावा लगभग 10 फिट ऊंचा रोप वे का निर्माण कराया जाना चाहिए जिससे कि दूर-दूर से आने वाले सैलानियों को आसानी से अजगरों का दीदार हो सके.
  • इससे अजगरों को भी इंसानों के आने जाने से किसी तरह की मुसीबत नहीं होगी और वे उनके जीने के लिए आवश्यक धूप ले सकेंगे.
  • इसके अलावा यहां की सड़क को बनाया जाना जरुरी है. पीने के पानी और लोगों को बैठने की व्यवस्थाओं और शेड्स की सौगात की भी जरुरत है.
  • इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और अजगरों का आशियाना भी सुरक्षित रह सकेगा.

क्या कहते हैं जिम्मेदार ?

उप-वन मंडल अधिकारी पूर्व क्षेत्र बीपी तिवारी का कहना है कि इस स्थान को अजगर अभ्यारण बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है. जिसकी अनुमति यदि मिल जाए तो इसे अभ्यारण्य के रूप में व्यवस्थित किया जा सकेगा. साथ ही लोगों के साथ अजगरों की सुविधा का भी पूरा ख्याल रखा जा सकेगा.

मंडला जिले के इस स्थान को यदि जनप्रतिनिधियों के साथ ही शासन-प्रशासन का सहयोग मिले तो निश्चित है देश के मानचित्र पर इस अजगरों की बस्ती के माध्यम से पर्यटन को नया ही आयाम मिलेगा और देश विदेश के सैलानी जो कान्हा नेशनल पार्क का भ्रमण करने आते हैं वह इस स्थान तक भी जरूर पहुंचेंगे.

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