मंडला।पूरे देश में कोरोना ने अपना पैर पसार लिया है, वहीं कई क्षेत्रों में इन दिनों टीबी बीमारी का भी काफी केस सामने आ रहा है. कोरोना और टीबी में काफी समानता है, दोनों ही संक्रमण वायु में सांस लेने से फैलता है, और इनसे बचाव के लिए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन बेहद जरूरी होता है. कोरोना काल में टीबी के मरीजों को कोरोना संक्रमित होने की ज्यादा संभावना होती है. चिकित्सकों के अनुसार कोरोना पॉजिटिव मरीज टीबी रोग से जल्द संक्रमित हो सकते है, क्योंकि उनका इम्युनिटी लेवल कम होता है.
टीबी का खतरा, जानें लक्षण और बचाव के उपाय एक समय था जब टीबी या क्षय रोग की ठीक वैसी ही दहशत थी, जैसे आज कोविड-19 की है. टीबी संक्रमित रोगी से उनके परिवार के लोग ठीक ऐसी ही दूरी बना लेते थे, जैसे आज कोरोना संक्रमितों से बनाया जा रहा है. टीबी बीमारी को भी पहले लाइलाज समझा जाता था, लेकिन समय के साथ इसका इलाज खोजा गया और आज टीबी संक्रमित कुछ महीनों के इलाज से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं.
क्या है टीबी (क्षय) रोग
टीबी रोग एक ऐसी बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक क्षय रोग के जीवाणु के कारण होती है. टीबी (क्षय रोग) आम तौर पर ज्यादातर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है. ये रोग हवा के माध्यम से फैलता है, जब क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति खांसता, छींकता या फिर बोलता है तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई उत्पन्न होता है, जो हवा के जरिए किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है.
टीबी (क्षय) रोग की मुख्य बातें
- टीबी हमारे देश की गंभीर समस्या है, हर तीन मिनट में दो लोग इससे संक्रमित होते हैं.
- सही इलाज न मिलने से संक्रमित व्यक्ति एक साल में 10 से 15 लोगों को टीबी फैला सकता है.
- टीबी या तपेदिक रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है, जो खासतौर से फेंफड़ों पर असर करता है.
- टीबी ग्रसित व्यक्ति के बलगम में जीवाणु पाए जाते हैं, जिसके छींकने, खांसने और थूकने से ये जीवाणु हवा में फैल जाता है.
टीबी (क्षय) रोग के लक्षण.
- तीन हफ्तों से अधिक खांसी आना.
- खांसी के साथ खून का आना.
- वजन में कमी आना और थकान महसूस होना.
- छाती में दर्द और सांस का फूलना.
- शाम को बुखार आना और ठंड लगना.
- रात में पसीना आना.
- शरीर का धीरे-धीरे काला पड़ना.
- टीबी बीमारी केवल बाल और नाखून को छोड़कर किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है, जो टीबी का दूसरा प्रकार है.
क्या कहते है ये आंकड़े-
- साल 2017 से 2020 तक के आंकड़े के अनुसार मंडला जिले में कुल मरीजों की संख्या 5990 है. जिनमें से 117 मरीजों की जानकारी प्राइवेट चिकित्सक द्वारा लगी हैं.
- मंडला जिले में टीबी के कुल 1030 मरीज हैं, जिनका आंकड़ा कोरोना संक्रमितों से दोगुना है. जिनमें से वर्तमान में 550 मरीजों का उपचार चल रहा है.
- साल 2019 से 2020 में कुल 77 मरीजों में से 32 मरीज स्वस्थ हो चुके है, जबकि 41 मरीजों की इलाज जारी है.
क्यों है खतरनाक
कोरोना काल के इस समय में कुपोषण के शिकार किसी भी आयु के व्यक्तियों को टीबी संक्रमित कर सकती है. यही वजह है कि कोरोना संक्रमितों और कुपोषण के शिकार लोगों को ज्यादा सावधनियां बरतने की जरूरत है. टीबी के रोगियों को कुपोषण या कोरोना के संक्रमण का ज्यादा खतरा होता है. इसलिए लोगों को कुपोषण, कोरोना और टीबी तीनों ही रोगों से खास सावधनियां रखनी चाहिए.
टीबी (क्षय) से बचाव के उपाए
- बच्चों को जन्म से एक माह के अंदर टीबी का टीका लगवाएं.
- खांसते या छींकते समय मुंह पर रुमाल रखें.
- रोगी जगह-जगह ना थूकें.
- इलाज पूरा कराए.
- एल्कोहल और धूम्रपान से बचें.
- बहुत अधिक मेहनत वाला काम न करें.
- सामान्य लोगों से दूरी बनाए रखें.
आसान है उपचार
- टीबी के संक्रमित व्यक्ति को मास्क लगाना चाहिए, जिससे कि उसके खांसने या छींकने से जीवाणु दूसरों तक न पहुंचे. वहीं लोगों को भी इस बीमारी से बचने के लिए इन उपायों के साथ ही सेनेटाइजर, हैंड सॉप से बार-बार हाथ धोने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए.
- इसकी जांच सरकारी अस्पताल में निःशुल्क होती है, जिसमें बलगम या फिर एक्स-रे से जांच की जाती है.
- डॉट्स प्रणाली से इसका उपचार सम्भव हैं, लेकिन इसका पूरा कोर्स जरूर करना चाहिए.
टीबी के मरीजों को हर माह 500 रूपये, ठीक होने पर 1 हजार रूपये, वहीं गम्भीर मरीज के ठीक होने पर उन्हें 5 हजार रूपये दिए जाते है. 750 रुपए ट्रायबल अलाउंस भी दिया जाता है. टीबी मरीज को किसी भी व्यक्ति के द्वारा नोटिफाइड करने पर 500 रूपये और उसे अस्पताल तक उपचार के लिए लाने पर 500 रूपये दिए जाते हैं.
लिहाजा इससे समझा जा सकता है कि यह कितनी खतरनाक बीमारी है. जो संक्रमण से फैलती है. ऐसे में जरूरत है कि सावधानी के साथ ही सुरक्षा और इसका ठीक से इलाज कराने कराना चाहिए. यह बीमारी गंदगी और साफसफाई के आभाव वाले क्षेत्रों में ज्यादा फैलती है, इसलिए जागरूकता के साथ सफाई भी आवश्यक है, जिससे स्वस्थ और टीबी मुक्त समाज की परिकल्पना को पूरा किया जा सके.