मण्डला। जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत जंतीपुर का कूदई टोला जहां बैगा जनजाति और आदिवासी निवास करते हैं, लेकिन यहां के सभी परिवार आज तक खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं, यहां लगभग 2 से 3 साल पहले स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम पंचायत द्वारा लाखों रुपए खर्च कर शौचालय बनवाने के दावे किये गए थे, लेकिन जमीनी हकीकत से दूर इन शौचालयों में लकड़ी, कंडे या फिर,भूसा रखा जा रहा है.
खुले में शौच जाने को मजबूर ग्रामीण, कागजों में बने हैं शौचालय
मण्डला जिले के कुदई टोला के बैगा और आदिवासी आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं.यहां कागजों में शौचालय बना दिए गए हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है.
बैगा और आदिवासियों के लिए सरकार के द्वारा लाख सुविधाओं के दावे किए गए हो लेकिन जंतीपुर का कुदई टोला एक ऐसा गांव है जहां इन दावों की जमीनी हकीकत से पर्दा उठ जाता है, इस टोले में 16 लाख 80 हज़ार रुपए खर्च कर ग्राम पंचायत के द्वारा 144 शौचालयों के निर्माण के लिए पैसा निकाल लिया गया था, लेकिन बीते दो तीन सालों में उंगलियों में गिने जाने लायक भी शौचालय नहीं बन पाए हैं जिनका उपयोग किया जा सके, आलम यह है कि टोले की महिलाएं, पुरुष और बच्चे खुले में शौच के लिए मजबूर हैं. वहीं जो शौचालय बनाए भी गए तो या वे धरासाई हो चुके है, या उन पर सीट नहीं हैं, दरवाजे नहीं या फिर टैंक ही नहीं खोदे गए हैं. ऐसे में ग्रामीणों के द्वारा इन आधे अधूरे शौचालय का उपयोग स्टोर रूम के रुप में लकड़ी कंडे या मवेशियों के पैरा भूसा रखने के लिए किया जा रहा है.
आधे अधूरे शौचालय की शिकायत पूर्व सरपंच और ग्रामीणों के द्वारा जिला प्रशासन से लेकर जनपद पंचायत तक कई बार की जा चुकी है, लेकिन नतीजा नहीं निकला है जांच भी हुई लेकिन नतीजा यही निकला कि लोग आज भी बाहर जाकर शौच करने को मजबूर हैं. वहीं जिला पंचायत के अधिकारी अब भी जांच कर कड़ी कार्रवाई की बात कर रहे हैं.