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मंडला:11 महीने में हुई 146 नवजातों की मौत, स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल

शहडोल में बच्चों की हुई मौत का मामला प्रदेश में इस वक्त गर्माया हुआ है, वहीं अगर दूसरे जिलों में बच्चों की मृत्यु दर की बात करें तो वहां भी हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. इसी तरह मंडला में पिछले 11 महीने में 146 बच्चों की मौत हो चुकी है.

Children died in Mandla
मंडला में बच्चों की मौत

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Published : Dec 9, 2020, 5:58 PM IST

Updated : Dec 14, 2020, 6:04 PM IST

मण्डला। शहडोल जैसे ही हालात मंडला जिले के भी हैं. जहां 11 माह में 146 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है. जिसकी मुख्य वजह इलाज में देरी के साथ ही स्वास्थ्य विभाग में स्टॉफ की कमी और संसाधनों का आभाव है.

शहडोल में लगातार हो रही बच्चों की मौत से जहां पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है वहीं मंडला जिले के हालात भी कुछ इस तरह के हैं कि यहां 11 माह में 146 बच्चे मौत के मुंह में समा गए.

क्या है मौत की वजह

ज्यादातर बच्चों की मौत सांस की तकलीफ, दिमागी झटके, समय के पहले जन्म और कम वजन होने के कारण हुई है. जो यह बताने के लिए काफी है कि जिले में नवजात का जन्म सुरक्षित नहीं है.

क्या कहते हैं आंकड़े

क्या कहते हैं आंकड़े

मंडला जिले के एसएनसीयू में 1321 बच्चे जनवरी से नवंबर माह तक भर्ती कराए गए. जिनमें से डिस्चार्ज-1060

रैफर-100

लामा (leaving against medical advice) से -13

मौत-146

आंकड़े

ये 0 से 29 दिनों के बच्चों के आंकड़े हैं. जिन्हें गहन शिशु वार्ड में रखा जाता है, जबकि शून्य से 5 साल के बच्चों के आंकड़ों की बात की जाए तो यह आंकड़ा 298 तक पहुंच जाता है. विधायक डॉ अशोक मर्सकोले द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के हिसाब से अप्रैल 2020 माह से नवम्बर माह तक

0 से 28 दिन के - 212 बच्चे

29 दिन से 1 साल तक के - 61 बच्चे

1 साल से 5 साल तक के - 25 बच्चे काल के गाल में समा गए

जिनकी कुल सँख्या 298 होती है, जिनमें से 99 बच्चे घर पर,अस्पताल (एसएनसीयू और विकासखंड) 157,ऑन द वे (रास्ते में) 42 बच्चों की मौत हुई.

अप्रैल से नवंबर तक बच्चों की मौत के आंकड़े

एसएनसीयू में आंकड़े

एसएनसीयू में हुई 11% बच्चों मौत ,146 बच्चों में 70 नवजात को सांस लेने में तकलीफ थी. 32 बच्चों को झटके आ रहे थे,13 बच्चे अतिकम वजन के थे 11 बच्चे समय से पहले जन्मे थे, 9 बच्चों को इंफेक्शन था. 4 बच्चे गंदा पानी पी चुके थे. मतलब मृत सभी नवजात की हालत नाजुक थी.

पढ़ें:नौनिहालों का कब्रगाह बनता मिनी मुंबई, इंदौर में हर साल 900 से ज्यादा बच्चों की हो जाती है मौत

विधानसभा में गूंजेगा सवाल

कांग्रेसी विधायक डॉ अशोक मर्सकोले ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिले की स्वास्थ सुविधाओं पर बड़ा सवाल खड़ा किया है. उनका कहना है कि मंडला जिले का जिला अस्पताल हो या फिर दूरदराज के कोई भी स्वास्थ्य केंद्र हर जगह स्टॉफ की कमी है. जिले में कोई डॉक्टर आना ही नहीं चाहता. ऐसे में लगातार हो रही मौतों का आखिर जिम्मेदार कौन है, यह तय करना शासन,प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी है.

बच्चों की मौत पर विधायक का बयान

सीएमएचओ का जबाब

मुख्य जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ श्रीनाथ सिंह बच्चों की हुई मौतों पर अलग-अलग कारण बता रहे हैं. जो यह कहने से भी नहीं चूकते की मंडला जिले का आंकड़ा प्रदेश के आंकड़े से बेहतर है. इससे ज्यादा मौतें प्रदेश के अन्य जिलों में हो रही हैं.

बच्चों की मौत पर CMHO का बयान

ईटीवी भारत के द्वारा लगातार मंडला जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव की खबरें प्रमुखता से दिखाई गई है. साथ ही लगातार आंकड़ों के जरिए हमने यह भी बताने का प्रयास किया है यहां चिकित्सा और नर्सिंग स्टॉफ की कमी हमेशा रही है. ऐसे में मासूमों की जान से खिलवाड़ के साथ ही गर्भवती और जन्म देने वाली माता कितनी सुरक्षित हैं, इस पर भी हमने लगातार रिपोर्ट दिखाइ है. लेकिन बच्चों की मौत का यह आंकड़ा कहीं ना कहीं शासन-प्रशासन और सरकार को शर्मसार करने के लिए काफी है.

Last Updated : Dec 14, 2020, 6:04 PM IST

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