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पिता के गुजरने के बाद उनके सपनों को पूरा करने बेटियों ने की दिन-रात मेहनत, एक बनी इंजीनियर तो दूसरी बनेगी डॉक्टर

खरगोन में दो बेटियों ने अपने पिता के सपनों को पूरा करने कि लिए दिन-रात मेहनत कर वो मुकाम पा लिया है, जिसका सपना उनके पिता ने देखा था. अब एक बेटी इंजीनियर है तो दूसरी बेटी खंडवा कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई कर रही है.

hard work to fulfill their father dream
बेटियों ने की दिन-रात मेहनत

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Published : Dec 3, 2020, 10:23 PM IST

खरगोन। हर पिता की ख्वाईश होती है कि जो वे खुद नहीं कर सके और हासिल नहीं कर पाए, वो सब उनके बच्चे हासिल करें. ऐसे कई अभिभावक हैं, जो अपने बच्चों के लिए सपना देखते है और उन्हें अपना ही सपना बना लेते है. कुछ ऐसा ही सपना शासकीय हाईस्कूल ओझरा के प्राचार्य छतरसिंह वास्कले ने देखा था. उन्होंने सपना देखा था कि उनकी एक बेटी इंजीनियर और एक बेटी डॉक्टर बने. इसी सपने को पूरा करने के लिए दोनों बेटियों ने मेहनत शुरू की, लेकिन सपना पूरा हो इससे पहले ही उनके पिता इस दुनिया को छोड़कर चले गए. आज उनकी दोनों बेटियों ने उनके सपने को सच कर दिखाया है.

रोड एक्सीडेंट में हुई मौत

लोकसभा निर्वाचन में पीठासीन अधिकारी का प्रशिक्षण लेकर लौटते समय छतरसिंह वास्कले की एक दुर्घटना में 10 दिसंबर 2018 को मृत्यु हो गई थी. पिता की मृत्यु के बाद तीन बेटियों और एक बेटे के साथ मां शशि ने बुरे समय में बच्चों को हौसला बनाया. अब नतीजा ये है कि सेगांव तहसील के जिरातपुरा के इस परिवार को मुसिबत भरे दिनों से मुक्ति मिल गई है.

एक बेटी इंजीनियर तो दूसरी डॉक्टर

अपने पिता के गुजर जाने के बाद दोनों बेटियों ने पिता की ईच्छा को पुरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. बड़ी बेटी श्रृद्धा इंदौर के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग पूरी करने बाद साल 2019 में देश की नामचीन कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस मुंबई में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गईं. अब बारी छोटी बेटी श्रुति की थी. उसने भी मेहनत कर इस सालआयोजित हुई नीट की परीक्षा में अच्छी रैंक लेकर पास कर ली है. श्रुति प्रवेश परीक्षा को पास करने के बाद कांउसिलिंग में शामिल हुई और उन्हें खंडवा के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल गया है.

2020 में शासकीय स्कूलों के 19 विद्यार्थियों का हुआ चयन

आदिम जाति कल्याण विभाग से जारी की गई जानकारी के मुताबिक साल 2019-20 में चयनित हुए 19 विद्यार्थियों का प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश हुआ है. 19 विद्यार्थियों में तीन छात्राओं की आकांक्षा योजना के तहत कोचिंग कराई गई थी, जिनका चयन शासकीय मेडिकल कॉलेजों में हुआ है. इनमें सविना जाधव का अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज विदिशा, सोनल जाधव का नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर, जयंति पंवार का शासकीय मेडिकल कॉलेज छिंदवाड़ा मिला है. इनके अलावा 16 ऐसे शासकीय स्कूलों के विद्यार्थी है, जिनका निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश हुआ है. आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त जेएस डामोर ने बताया कि 28 नवंबर तक चलने वाली काउंसलिंग में शेष बचे विद्यार्थियों का भी काउंसलिंग हो जाएगी.

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