खरगोन। कसरावद विधानसभी सीट पर 2018 की तस्वीर बनती दिखाई दे रही है. एक बार फिर बीजेपी ने यहां से आत्माराम पटेल को टिकट दिया है. यह वही आत्मराम पटेल हैं, जो 2018 में भले ही हार गए, लेकिन इन्होंने एक समय कांग्रेस के दिग्गज नेता सुभाष यादव को हराकर पूरे प्रदेश में सबको चौंका दिया था. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के आत्मराम पटेल ने कांग्रेस के सचिन यादव को कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि सचिन यादव यह चुनाव 5,539 वोटों से जीतकर विधायक बने और फिर सरकार में मंत्री भी बने थे. इसी कारण कसरावद सीट कांग्रेस के गढ़ के रूप में पहचानी जाती है.
मध्यप्रदेश में सहकारिता के जनक माने जान वाले सुभाष यादव ने इस सीट पर एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया है. यहां यादव समाज का बाहुल्य तो है ही, लेकिन पाटीदार, राजपूत, पटेल यानी कुर्मी और मीणा समुदाय की भी अच्छी खासी संख्या है. यह लोग चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं और इनसे यादव परिवार का वैसा ही रिश्ता है, जैसे बुधनी में शिवराज का अपने मतदाताओं से है. इस विधानसभा में लगभग 2 लाख मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 107010 और महिला मतदाताओं की संख्या 100811 है. इस विधानसभा में भी रोजगार एक बड़ा मुद्दा है. कसरावद सीट पहली बार साल 1977 में अस्तित्व में आई थी. अब तक कुल 10 चुनाव इस सीट पर हो चुके हैं. इनमें से 1993, 1998, 2003 में सुभाष यादव ने जीतकर हैट्रिक बनाई थी. लेकिन 2008 का चुनाव वे हार गए और यह उनका अंतिम चुनाव साबित हुआ. 2013 में सचिन ने फिर से अपने पिता की सीट वापिस ले ली. बीजेपी दो बार और जनता पार्टी एक बार इस सीट को जीत पाई थी.
सीट बनते ही जनता पार्टी ने खाता खोला, लेकिन फिर कांग्रेस हो गई हावी:कसरावद विधानसभा 1977 में बनी. 1977 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चांदमल लूनिया को और जनता पार्टी ने बंकिम जोशी को उम्मीदवार बनाया. जीत मिली जनता पार्टी के जोशी को, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार चांदमल लुनिया को 4928 वोटों से हराया. 1980 में कसरावद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने रमेशचंद्र आनंदराव को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 24604 वोट मिले. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बाबू सिंह सोलंकी कुल 18546 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और वे 6058 वोटों से हार गये. 1985 में कसरावद विधानसभा क्षेत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रमेश चंद्र मंडलोई को उम्मीदवार बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 25832 वोट मिले. इस बार बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार कैलाश जोशी थे, जिन्हें कुल 17249 वोट मिले और वे 8583 वोटों से चुनाव हार गए. 1990 में कसरावद से भारतीय जनता पार्टी ने गजानंद जीनवाला को उम्मीदवार बनाया और वे जीते व विधायक बने. उन्हें कुल 31055 वोट मिले. वहीं दूसरे नंबर पर रहे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार चांद मल लुनिया, जिन्हें कुल 14788 वोट मिले और वे 16267 वोटों से हार गए.