MP Seat Scan Bhikangaon: भीकनगांव सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व, बीजेपी जीत के लिए लगा रही एड़ी चोटी का जोर
एमपी के खरगोन जिले की सीट भीकनगांव दो बार से बीजेपी के लिए चुनौती बनी हुई है. हाल यह है कि सीट पर हैट्रिक बनाने के बाद अब कांग्रेस को हटाना मुश्किल हो रहा है. शिवराज और बीजेपी लहर में भी यह सीट कांग्रेस जीत रही है. इस कांग्रेस के सामने सीट बचाने की तो बीजेपी के सामने इसे पाने की चुनौती है.
खरगोन।एमपी विधानसभा की 181 नंबर यह सीट शेड्यूल ट्राइब (ST) के लिए रिजर्व है, लेकिन वर्ष 1977 से पहले यह सामान्य सीट हुआ करती थी. 1962 में पहली बार अस्तित्व में आई इसी सीट पर पहले रिजर्व होने से पहले के तीन चुनाव में से दो कांग्रेस और एक जनसंघ जीती थी. पहले ही चुनाव से कांग्रेस और जनसंघ के बीच कड़ा मुकाबला रहा है, लेकिन एसटी के लिए रिजर्व होने के बाद यह सीट लगभग बीजेपी के पास रही. जिसे 2013 के चुनाव में ST नेता झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी ने अपने कब्जे में किया.
भीकनगांव में दो महिलाओं में मुकाबला: खरगोन जिले की भीकनगांव सीट से 6 प्रत्याशी मैदान में हैं. कांग्रेस ने श्रमती झूमा ध्यानसिंह सोलंकी को मैदान में उतारा है. वहीं भाजपा ने नंदा ब्राह्मणे को प्रत्याशी बनाया है. इस मुकाबले में झूमा ध्यानसिंह सोलंकी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है.
वहीं वर्तमान की बात करें तो कांग्रेस की तरफ से वर्तमान विधायक यानी झूमा साेलंकी को ही कैंडीडेट बनाने की तैयारी है. इस सीट पर हैट्रिक का भी प्लान है. दूसरी तरफ बीजेपी की बात करें तो उन्होंने नंदा ब्राम्हणे को टिकट दे दिया है. बीजेपी की इस महिला प्रत्याशी ने भी सीट के हालात को समझते हुए बहुत अधिक वोटों से जीतने का दावा नहीं किया. उन्होंने कहा है कि हम 10 हजार वोट से जीत जाएंगे. गौरतलब है कि नंदा ब्राह्मणे को बीजेपी ने वर्ष 2013 में भी भीकनगांव विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था. उस चुनाव में नंदा करीब 2200 वोटों से हारी थी. 10 वर्ष बाद एक बार फिर पार्टी ने उन्हें मौका दिया है. इस विधानसभा में यदि मुद्दों की बात करें तो यहां बेरोजगारी, सड़क मुख्य मुद्दे हैं. क्षेत्र में सरकारी अस्पातल और कॉलेजों को लेकर हमेशा आक्रोश रहा है. कांग्रेस का तर्क रहा है कि सत्ता में भाजपा रही है. इसलिए कभी विकास नहीं हुआ तो बीजेपी दस साल की कांग्रेस विधायक को सीधे तौर पर जिम्मेदार बताते हैं.
भीकनगांव के मतदाता
भीकनगांव का चुनावी इतिहास: वर्ष 1962 में पहली बार यह सीट बनी और पहली बार में ही जनसंघ के उम्मीदवार हीरालाल यादव ने कांग्रेस के वल्लभदास सीताराम को 9516 वोटों से चुनाव हरा दिया. तब संघ का आदिवासियों के बीच बहुत अच्छा काम था. तब यह सीट अनरिजर्व थी, लेकिन 1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के ए भगवान सिंह ने भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार आरडी जैसवाल को 2870 वोट से चुनाव हराकर सीट पर पहली जीत दर्ज की. 1972 में भीकनगांव विधानसभा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उम्मीदवार दूसरी बार लगातार जीता. इस बार पार्टी ने राणा बलबहादुर सिंह को टिकट दिया और उन्होंने भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार हीरालाल यादेव को कुल 8512 वोटों के बड़े अंतर से हराया. बता दें कि भीकनगांव प्रारंभ से ही आदिवासी बाहुल्य रहा है और यहां संघ का बहुत बड़ा काम था.
सीट रिजर्व होने के बाद आ गई जनसंघ यानी बीजेपी के कब्जे में:वर्ष 1977 में भीकनगांव विधानसभा एसटी के लिए रिजर्व कर दी गई. तब तक जनसंघ नाम बदलकर जनता पार्टी हो गया था. इनकी तरफ से डोंगर सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया गया था. जीत भी पटेल को मिली और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार सोभागसिंह को कुल 10508 वोटों हराया. 1980 के विधानसभा चुनाव तक जनता पार्टी भारतीय जनता पार्टी बन चुकी थी. इस बार भी पार्टी ने अपना उम्मीदवार डोंगर सिंह पटेल को बनाया और वे जीतकर विधायक बने. पटेल ने इस बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार जुवानसिंह अनार सिंह को कुल 991 वोटों से हराया. हार का यह अंतर बेहद कम था और 1985 में यह छोटा सा अंतर कांग्रेस के पक्ष में गया. इस साल के विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार जुवानसिंह मैदान में थे और वे जीतकर विधायक बने. उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार सुरपालसिंह सरदारसिंह पटेल को कुल 9064 वोटों से हराया.
1990 से 1998 तक का सियासी समीकरण:1990 के भीकनगांव विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार डोंगर सिंह को बनाया और वे जीतकर विधायक बने. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार सिलदार पटेल को 5156 वोटों से हराकर यह सीट वापस ले ली. इसके बाद 1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जवान सिंह को और भाजपा ने लाल सिंह को उम्मीदवार बनाया. जीत मिली कांग्रेस के जवान सिंह को, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार लाल सिंह को 1739 वोटों से हरा दिया, लेकिन 1998 में एक बार फिर बड़ा उलटफेर हुआ. इस बार भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने लाल सिंह डोंगरसिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया और कांग्रेस ने जवान सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को 9856 वोटों से हरा दिया.
साल 2018 का रिजल्ट
साल 2003 से 2018 तक का रिजल्ट: 2003 में भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी ने उम्मीदवार बदल कर धूलसिंह को मैदान में उतारा और वे जीते व विधायक बने. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार सिलदार पटेल को 8828 वोटों से हराया. 2008 के भीकनगांव विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने जीत का सिलसिला कायम रखा. इस बार बीजेपी के उम्मीदवार धूल सिंह डावर थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की उम्मीदवार संगीता सिलदार पटेल थी. इसमें डावर ने पटेल को 14151 वोटों से हराया, लेकिन 2013 के भीकनगांव विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यह सीट वापस जीत ली. इस बार उम्मीदवार बनी झूमा सोलंकी और बीजेपी की उम्मीदवार नंदा ब्राह्मणे थी. सोलंकी ने नंदा को यह चुनाव 2399 वोटों के अंतर से हराया. 2018 में भी कांग्रेस की उम्मीदवार झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी थी और उन्होंने इस बार भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार व पूर्व विधायक धूल सिंह डावर को कुल 27257 वोटों से हराकर सीट कांग्रेस के पास रखी.