खंड़वा। रहस्यमयी नगरी ओंकारेश्वरमें प्रसिद्ध प्राचीन सुलवेद माता का मंदिर है. इस मंदिर और कुंड के बारे में कई किवदंतियां प्रचलित हैं. मंदिर के बारे में कहा जाता है कि अगर असाध्य चर्म रोगों से ग्रसित व्यक्ति मंगलवार के दिन स्नान करें तो उसका चर्म रोग धीरे-धीरे खत्म हो जाता है. हर मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या और पूर्णिमा को दूर-दराज से सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु स्नान और दर्शन के लिए आते हैं, जबकि इस प्राचीन मंदिर तक पहुंचने का रास्ता दुर्गम है. पुजारी और श्रद्धालुओं ने कई बार प्रशासन से इसे ठीक करने की मांग की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है.
ओंकारेश्वर में सुलवेद माता की चौखट तक पहुंचने के लिए भक्तों को उठाना पड़ता है जोखिम - etv bharat mp news
तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में प्राचीन सुलवेद बावड़ी माता का मंदिर है. जहां पंहुचने के लिये व्यवस्थित मार्ग नहीं है. जिसकी वजह से सैकड़ों श्रद्धालु जान जोखिम में डालकर मंदिर में पहुंचते हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.
परिक्रमा क्षेत्र में आने वाले तीन विशिष्ट जंगलों में से एक ओंकारेश्वर के जंगलों में पड़ने वाले इस प्राचीन मंदिर और कुंड दोनों अद्भुत आभा लिए हुए हैं. ये मंदिर पहाड़ों के मध्य स्थित है. चारों ओर वन क्षेत्र होने से यहां हरियाली बनी रहती है. गर्मी के मौसम में भी इस मंदिर के आस पास हराभरा वातावरण रहता है. यहां बने कुंड का जल हमेशा स्वच्छ रहता है और एक समान जलस्तर बना रहता है. कुंड के जल को श्रद्धालु भरकर मंदिर प्रांगण के समीप स्नान कर मंदिर में देवी पूजन करते हैं.
मंदिर के पुजारी दादुराम वर्मा ने बताया कि मंदिर पहुंचने में श्रद्धालुओं को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिसकी शिकायत लिखित में प्रशासन को कई बार की जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है.