खंडवा। 'मेरे घर से तुमको, कुछ सामान मिलेगा, दीवाने शायर का, एक दीवान मिलेगा और इक चीज मिलेगी, टूटा खाली जाम, हो मैं चला, मैं चला' यह गीत किशोर कुमार के उन गीतों में से है जिसे सबसे ज्यादा गाया जाता है और सुना जाता है. लेकिन इस गीत में किशोर कुमार जिस घर की बात कर रहे हैं वह खंडवा में है. खंडवा में उनका पुश्तैनी मकान है. इस मकान से उन्हें काफी लगावा था. उनकी अंतिम इच्छा भी इस मकान में रहने की थी. लेकिन यह मकान पुरी तरह से जर्जर हो चुका है.
देखरेख के अभाव में मकान की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. वहीं किशोरी प्रेमी उनके इस मकान को संजाए रखना चाहते थे. उसे एक किशोर मेमोरियल बनाना चाहते हैं. जहां किशोर कुमार की वस्तूएं संग्रहीत करके किशोर प्रेमियों के लिए रखी जा सके. लेकिन पारिवारिक विवाद के कारण किशोर प्रेमियों का यह सपना अधुरा है. किशोर कुमार के घर की स्थिति को देखकर किशोर प्रेमियों में खासी निराशा है. घर के नाम पर अब सिर्फ जर्जर दिवारें और टूटी खिड़की, दरवाजें है.
खंडवा में बसना चाहते थे किशोर कुमार
किशोर कुमार के मकान में 45 साल से किशोर दा के घर की रखवाली कर रहे वृद्ध सीताराम रहते है, जो किशोर कुमार के समय से मकान के चौकीदार है. वे अब ठीक से चल भी नहीं पाते है. उनका कहना है कि किशोर कुमार ने एक बार उनसे कहा था कि वे अब खंडवा आकर इसी घर में बस जाऐंगे. लेकिन ऐसा नहीं हो सका और उनका 13 अक्टूबर 1987 को निधन हो गया. मकान के कुछ कमरों की दिवार गिर गई है. जिस कमरे में किशोर कुमार की मां रहती थी उसमें केवल उनकी फाेटो रह गई है. यह कमरा भी पुरी तरह से जर्जर हो गया है.
हर साल किशोर दा की समाधी पर जुटते है किशोर प्रेमी
4 अगस्त 1929 को किशोर कुमार का जन्म मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था. किशोर दा के जन्मदिन के एक दिन पहले इंदौर रोड स्थित उनकी समाधी को सजाया जाने लगा है. समाधी के पास ही किशोरी स्मारक बना हुआ है. जिस पर आकर्षक विद्यूत सजा की गई है. इसके साथ ही किशोर प्रेमियों का समाधी पर एक दिन पहले ही दर्शन करने पहुंच रहे हैं. हर साल 4 अगस्त (जन्मदिवस) और 13 अक्टूबर (पुण्यतिथि) को देश भर से किशोरी प्रेमी समाधी पर जुटते हैं और किशोर दा के गाने गुनगुनाते है.