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किशोर दा के दिल में हमेशा धड़कता रहा खंडवा

खंडवा में जन्मे किशोर दा की पढ़ाई उनके ही शहर में हुई, उन्होंने अपने जीवन में तमाम उपलब्धियां हासिल की लेकिन वो कभी अपने शहर को नहीं भूल सके.

रुमानी शख्सियत किशोर दा अपने शहर खंडवा को नहीं भूले

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Published : Oct 13, 2019, 2:21 PM IST

खंडवा। किशोर दा की आज पुण्यतिथि है इस अवसर पर खंडवा में प्रदेश सरकार की ओर से 21वां किशोर अलंकरण सम्मान दक्षिण के मशहूर फिल्म निर्देशक प्रियदर्शन को दिया जाएगा. अलंकरण समारोह के पश्चात मुंबई के जाने माने गायक रवींद्र शिंदे, अर्पणा नगरकट्टी और सायली कांबले अपने गीतों की प्रस्तुति देंगी.

रुमानी शख्सियत किशोर दा अपने शहर खंडवा को नहीं भूले

किशोर दा का जन्म 04 अगस्त को 1929 को खंडवा जिले में हुआ था. वहीं जाने-माने गायक और अभिनयकर्ता का 13 अक्टूबर 1987 को मुम्बई में निधन हो गया, किशोर दा की अंतिम इच्छा के अनुसार उनका पार्थिव शरीर मुम्बई से खंडवा लाया गया था. उनकी जन्म भूमि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके चाहने वालो ने उसी जगह उनकी समाधि बना दी जो आज तक पूजी जा रही है. बाद में सरकार ने यहां एक भव्य स्मारक बनवा दिया, जो आज एक दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित हो गया है.

सुरीली आवाज के धनी किशोर दा की स्कूली शिक्षा खंडवा में ही पूरी हुई है. उनके स्कूल के दोस्त बताते थे कि वह शुरु से ही बड़े चुलबुले थे. उनके दोस्त तो अब नहीं रहे लेकिन आज की युवा पीढ़ी में भी उनके प्रशसंकों की कमी नहीं है. कुछ तो ऐसे है जो उन्हें भगवान की तरह पूजते है और उन्हीं की स्टाइल में गाने लिखते और गाते हैं.

खंडवा में किशोर कुमार का पुश्तैनी मकान आज मौजूद है. घर के अंदर रखा सामान मानों आज भी उनकी प्रतीक्षा कर रहा है. कुछ दिन पहले इसके बिकने की खबर आई थी, लेकिन अमित कुमार ने समाचार पत्रों में नोटिस देकर इसपर विराम लगा दिया. पिछले 40 सालों से यह मकान एक चौकीदार के जिम्मे है. बुजुर्ग हो चुका चौकीदार इस मकान को एक स्मारक के रूप में देखना चाहता है.

किशोर दा को खंडवा से बड़ा लगाव था. जब भी वो स्टेज पर जाते तब दर्शकों से लेडिज और जेंटलमेन न कहकर दादा और दादियों, नाना और नानियों आप सभी को खंडवावासी किशोर का राम-राम कहते थे. किशोर दा जब भी खंडवा आते अपने दोस्तों के साथ शहर की गलियों-चौपालों पर गप्पे लड़ाना नहीं भूलते थे. उनकी ज्यादातर महफिल जलेबी की दुकान पर ही सजती थी. उनमें एक स्टार होने का घमंड नहीं था. किशोर दा तो अब नहीं रहे, लेकिन वह जलेबी की दुकान आज भी किशोर कुमार के नाम से चल रही है, दुकानदार किशोर दा की फोटो की पूजा करने के बाद ही धंधा शुरु करते है.

रुमानी शख्सियत किशोर दा ने 16 हजार फिल्मी गाने गाए है और उन्हें 8 बार फिल्म फेयर अवार्ड मिला है. वे मुम्बई गए तो थे हास्य कलाकार बनने लेकिन बन गए गायक. जिन्होंने जिद्दी फिल्म से गाने का सफर शुरु किया था. मध्यप्रदेश सरकार उनकी पूण्य तिथि के मौके पर फ़िल्म उद्योग से जुड़े ख्यातिनाम व्यक्ति को राष्ट्रीय किशोर सम्मान देती है. पूरे देश में किशोर दा के चाहने वाले मौजूद है, किशोर दा के प्रति उनकी दीवानगी उन्हें समाधि तक खींच लाती है.

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