खंडवा। जिले का एक थाना ऐसा भी है जहां प्रकरण दर्ज करने से ज्यादा जोर मामलों को सुलझाने में दिया जा रहा है. जिससे न केवल मामले सुलझ रहे हैं, साथ ही परिवार भी बिखरने से बच रहे हैं. हम बात कर रहे हैं खंडवा महिला पुलिस थाने की. महिला थाने में केस दर्ज करने से अधिक जोर मामले को सुलझाने में दिया जा रहा है. थाना खुलने के बाद से चार महीनों में 161 परिवारों को बिखरने से बचाया गया है. वहीं केवल तीन प्रकरण ही दर्ज हो सके. पति-पत्नी के आपसी विवाद के मामलाें को काउंसलिंग कर सुलझाया गया.
केस दर्ज करने की जगह सुलह कराने में अग्रसर खंडवा का महिला थाना, 161 परिवारों को टूटने से बचाया
खंडवा महिला थाने में केस दर्ज करने से अधिक जोर मामला को सुलझाने में दिया जा रहा है. थाना खुलने के बाद से चार माह में 161 परिवारों को बिखरने से बचाया गया. वहीं केवल तीन प्रकरण ही दर्ज हो सके. पति-पत्नी के आपसी विवाद के इन मामलाें को काउंसलिंग कर सुलझाया गया.
चार महीने में 161 सुलह
खंडवा में महिला थाना एक जुलाई को शुरू किया गया था. थाना खुलने के बाद से यहां शिकायतों के आने का सिलसिला बना हुआ है. औसतन एक माह में 58 से अधिक शिकायतें थाने में होती है, जिसमें से अधिकांश शिकायत पारिवारिक मामलों को लेकर और पति-पत्नी के बीच हुए मनमुटाव को लेकर होती हैं. इन शिकायताें को गंभीरता से लेते हुए केस दर्ज करने से पहले मामलों में समझौता कराने पर जोर दिया जा रहा है. थाने का चार माह का रिकॉर्ड देखा जाए तो करीब 233 शिकायतें आयी है, जिसमें अधिकांश शिकायत पति-पत्नी के बीच मामूली विवाद की है. इस तरह के मामलों में काउंसलिंग कर विवाद निपटाया जाता है.
परिवार को टूटने से बचाना जरूरी
महिला सेल डीएसपी दीपा मांडवी ने बताया कि केस दर्ज करना आसान काम है. लेकिन इससे एक परिवार बिखर जाएगा. इसके लिए पारिवारिक मामलों में पहले दोनों पक्षों को बैठाकर काउंसलिग की जाती है. दोनों पक्षों को सुना जाता है. इसके बाद उन्हे परामर्श देते हुए सुलह कराने पर जोर दिया जाता है. उन्हें एक संगठित परिवार का मतलब समझाया जाता है. उनका यह प्रयास कारगर साबित होने लगा है. अब तक 233 पारिवारिक मामलों में से 161 मामलों में सुलह कराई गई है, जबकि 72 मामले में अभी लंबित हैं. चार माह में थाने में सिर्फ तीन एफआईआर दर्ज हुई है.