खंडवा। देश में प्याज के दामों को लेकर किसानों की बेबसी अक्सर देखी जाती है, कभी प्याज के दाम फर्श पर आ जाते हैं तो कभी अर्स पर पहुंच जाते हैं. कभी किसान को प्याज के दामों को लेकर आंसू बहाने पड़ते हैं तो कभी बिचौलियों के हाथों अपनी मेहनत माटी मोल बेंचना पड़ता है. ऐसे में किसान करे भी तो क्या, जब उसके पास स्टोरेज के लिए के लिए कोई साधन नहीं होता और महंगे कोल्ड स्टोरेज में उपज रख देने से उसकी लागत बढ़ जाती है. इन्हीं से बचने के लिए उद्यानिकी विभाग के पहल से किसानों ने प्याज को महीनों तक सुरक्षित भंडारण करने की युक्ती निकाली है.
उद्यानिकी विभाग देता है अनुदान
उद्यानिकी विभाग के मदद से माध्यम से सुरगांव जोशी के किसान राजू पटेल ने अपनी उपज को सुरक्षित रखने के लिए इसी तकनीकी का उपयोग कर साल 2016 में स्टोरेज बनवाया था, जिसके बाद से उनके प्याज की उम्र बढ़ गई और महीनों तक प्याज बिना सड़े सुरक्षित रही. इस निर्माण के लिए राजू पटेल ने 1 लाख 90 हजार खर्च किए, जिसमें से शासन की ओर से उद्यानिकी विभाग 87 हजार रुपये का अनुदान दिया. इस निर्माण के बाद राजू पटेल को हर साल 1-2 रुपये प्रति किलों होने वाले निकसान से छुटकारा मिल गया और वह मंड़ी में दाम होने पर अपनी प्याज बेंचने लगे.
ऐसे होता है निर्माण
इस तकनीक में जमीन से 3 से 4 फीट उपर 16×40 के इस ढ़ाचा बनाया जाता है, जिसमें बीच से तीन फीट की गली बनाई जाती है और बाकी दोनों ओर जालियां लगाई जाती है, जालियों से उपर 4 से 5 फीट उपर सेड लगाया जाता है. चुंकी इस ढ़ाचे में कहीं से दिवाल नहीं होती बल्की जलियां होती है इस कारण प्याज में हवा लगती रहती है, जिससे प्याज के सड़ने के चांस कम हो जाते हैं. किसान लाखों रूपए की लागत से कई क्विंटल प्याज का उत्पादन करता हैं. वहीं जब देश में प्याज का भाव 1-2 रूपए किलो में बिकता हैं. तब किसान अपनी प्याज़ को सड़क पर फेंकने को मजबूर हो जाता हैं. ऐसे में इस तकनीक से किसान अपनी 250 क्विंटल तक प्याज की उपज को 3-4 महीनों के लिए सुरक्षित भंडारित कर सकता हैं.
कोरोना के कारण ममद पर लगी रोक
उद्यानिकी विभाग हर साल ऑनलाइन फार्म के माध्यम से लॉटरी आयोजित करता हैं और चयनित किसान को इसका लाभ देता है. अब तक खंडवा में उद्यानिकी विभाग करीब 30 से लेकर 127 मीट्रिक टन वाले स्टोरेज बनवा चुका हैं, जिससे इलाके के कई किसानो को लाभ हुआ है, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते किसानों को इसका लाभ नही मिल पाया हैं. किसानो को आशा है की जल्द ही उद्यानिकी विभाग फिर से लॉटरी निकालेगा.
किसानों का नुकसान हुआ कम
यह तकनीक प्याज उत्पादक किसानों के लिए बेहद फायदेमंद हैं और इसमें मौसम का भी कोई असर नहीं पड़ता. स्टोरेज की इस तकनीक से किसान अपनी फसल को सही समय आने पर बेच पाएगा और फसल सड़ने से बचाने के लिए कम दाम पर बेंचने पर मजबूर नहीं होगा और न ही बिचौलियों की कालाबाजारी का शिकार होगा.