कटनी। मध्यप्रदेश की खजुराहो संसदीय सीट हाई प्रोफाइल बनती जा रही है क्योंकि पिछले 15 सालों से यहां बीजेपी का कब्जा है और इस बार बीजेपी ने यहां पैराशूट प्रत्याशी उतारा है, जबकि कांग्रेस ने विधायक विक्रम सिंह नातीराजा की पत्नी कविता सिंह को मैदान में उतारा है. लिहाजा स्थानीय प्रत्याशी की गूंज ज्यादा सुनाई पड़ रही है. हालांकि, बीजेपी ने प्रत्याशी घोषित करने में काफी वक्त लगाया और जैसे कयास लगाये जा रहे थे, वैसा ही हुआ भी. बीजेपी ने मुरैना निवासी बीडी शर्मा को उम्मीदवार बनाया है.
खजुराहो क्षेत्र में करीब 18 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 57 प्रतिशत मतदाता कटनी जिले के हैं, कटनी जिले की 3 विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता ही तय करते हैं कि किस पार्टी का या कौन प्रत्याशी सांसद बनेगा. अलग-अलग काल खंडों में अलग अलग लोकसभा क्षेत्रों में कटनी की अहम भूमिका रही है, लेकिन कटनी का नाम कभी लोकसभा सीट के नाम पर तय नहीं हो पाया. शुरुआती दौर में जबलपुर उसके बाद सतना और फिर शहडोल, अब परिसीमन के बाद ये खजुराहो क्षेत्र में शामिल हो गया.
खजुराहो संसदीय क्षेत्र का नाम बदलने के लिए कटनी के जनप्रतिनिधियों ने खासा प्रयास किया था, लेकिन उसका कुछ खास असर नजर नहीं पड़ा. खजुराहो संसदीय क्षेत्र का सबसे अहम जिला कटनी एक व्यवसायिक नगरी के तौर पर जाना जाता है, जहां पर जातिगत समीकरण नजर नहीं आता है, यहां के लोग व्यापार-व्यवसाय पर निर्भर हैं. लिहाजा बाहर से आए हुए लोगों की तादाद ज्यादा है, कटनी के शहरी क्षेत्र से सिंधी वोटर्स की तादात काफी है, जिसका असर चुनावों पर पड़ता है.
वरिष्ठ पत्रकार व समाज सेवी नंदलाल सिंह ने बताया कि 1978 में कटनी को जिला बनाने के लिए एक आंदोलन हुआ, जिसका मकसद कटनी को जबलपुर से अलग किया जाना था, ताकि कटनी का विकास हो सके. तकरीबन 20 साल के आंदोलन के बाद 1998 में कटनी जिला बना दिया गया, लेकिन नेतृत्व की कमी के चलते कटनी का विकास कुछ खास हो नहीं पाया. हाल ही में कटनी में स्थानीय सांसद को लेकर जनांदोलन भी किया गया, पर राजनीतिक पार्टियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. नतीजतन यहां से बीजेपी-कांग्रेस दोनों ने ही किसी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया.