झाबुआ।"आज झाबुआ जिले की जो तस्वीर नजर आ रही है, उसमें कांतिलाल भूरिया और कांग्रेस का सबसे बड़ा योगदान है. भानू भूरिया जिस अस्पताल में पैदा हुआ है, वह कांतिलाल भूरिया और कांग्रेस पार्टी ने बनाया है. जिस विद्यालय में वह पढ़ा है, उसे भी कांतिलाल भूरिया और कांग्रेस पार्टी ने बनाया है. यह बात युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ विक्रांत भूरिया ने कही." वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिए गए उस बयान का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि "जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, तब झाबुआ जिले में सड़क, स्कूल, आश्रम और छात्रावास नहीं थे.
सीएम शिवराज पर बरसे विक्रांत भूरिया: डॉ विक्रांत भूरिया यही नहीं रुके, उन्होंने कहा "मैं शिवराज सिंह चौहान से कहना चाहता हूं कि उन बिल्डिंग, उन अस्पताल, उन कॉलेज और हॉस्टल में जाकर देखो वहां नाम किसका लिखा है? कांतिलाल भूरिया का नाम लिखा है. आपकी सरकार ने एक भी सौगात झाबुआ के लिए दी हो तो आप बताओ. कल इंजीनियरिंग कॉलेज का उद्घाटन भी करने के लिए इसलिए आए, क्योंकि चुनाव आ गया. अब तो यहां पर आएंगे ही वे. मैं कहता हूं कि अभी जाकर देख लो, मुख्यमंत्री जिस जिस कॉलेज का उद्घाटन करके आए हैं, उसकी दीवारें अभी से दरकने लगी है. मुख्यमंत्री ने जिस कॉलेज भवन का उद्घाटन किया. वह जीता-जागता 50% कमीशन का सबूत है. मुख्यमंत्री यहां आकर ऐसी बातें करते हैं, मानो उनके आने से पहले झाबुआ में सूरज ही नहीं उगता था. हर चुनाव में आते और कहते हैं नर्मदा मैया का पानी लाएंगे, लेकिन कभी तारीख नहीं बताते कि कब लाएंगे. पता चला कि एक लौटे में पानी लेकर आ गए और कह दिया कि देखो मैं नर्मदा मैया का पानी ले आया. अब तो उनकी सरकार की एक्सपायरी डेट भी आ गई है. जैसे ही चुनाव होंगे, इनके सब नेताओं की एक्सपायरी हो जाएगी. विक्रांत भूरिया ने कहा कि शिवराज सिंह की स्थिति तो अमित शाह ने बता ही दी है. कैंडिडेट अनाउंसमेंट दिल्ली से हो रहा है. इनके माध्यम से नहीं हो रहा है. न इनसे कुछ पूछा जा रहा है और न बोला जा रहा है. जब चुनाव होता है, तभी मुख्यमंत्री को झाबुआ की याद आती है."
झाबुआ के आदिवासी नेताओं को मंत्री क्यों नहीं बनाया:भाजपा सरकार द्वारा मंत्री मंडल में किए गए विस्तार को लेकर युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ विक्रांत भूरिया बोले "मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछना चाहता हूं कि अगर उन्हें झाबुआ- आलीराजपुर जिले की इतनी चिंता थी तो इतने सालों में एक भी मंत्री झाबुआ जिले को क्यों नहीं दिया? क्या आदिवासियों से उनको परहेज था या फिर झाबुआ का जो भाजपा का आदिवासी नेता है, उसे वे इस लायक नहीं समझते की 18 साल में एक बार भी उन्हें मंत्री का दर्जा दे सके. जब यहां की स्थिति बद से बदतर हो जाती है, तब वे झाबुआ आते हैं, डैमेज कंट्रोल के लिए. मैं अपनी बहनों और यहां के युवाओं को कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री आपके लिए यहां नहीं आए. वे सिर्फ डैमेज कंट्रोल के लिए आए थे, क्योंकि जिस भानु भूरिया को उन्होंने उम्मीदवार बनाया है, उसके बारे में वे भी समझते हैं कि वह कैंडिडेट बनने के लायक नहीं था. भाजपा के कार्यकर्ताओं ने तो उन्हें नकार ही दिया है, आने वाले समय में आप देखोगे कि झाबुआ की जनता भी उसे पूरी तरह से नकार देगी. सीएम ने खुद ही भानू भूरिया को बोल दिया कि जिला अध्यक्ष पद से हट जाओ, क्योंकि जो जिला अध्यक्ष विरोध करने वाले अपने कार्यकर्ताओं को पहचानने से इनकार कर देता है, वह जिलाध्यक्ष किस काम काय जब उनका विरोध होता है तो कहते हैं कि ये कांतिलाल भूरिया और विक्रांत भूरिया के लोग हैं."