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स्वच्छता का संदेश देने भारत भ्रमण पर निकले लुईस दास, 8 राज्यों का कर चुके हैं सफर

देशवासियों में सफाई की अलख जगाने भारत भ्रमण पर निकले लुईस दास झाबुआ पहुंचे. जहां उन्होंने आदिवासी ग्रामीण बच्चों को सफाई के प्रति सजग रहने और कोरोना संक्रमण से बचाव के तरीके बताए.

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Published : Jun 7, 2020, 1:27 AM IST

lewis das
भारत यात्रा पर निकले लुइस

झाबुआ। देशवासियों में सफाई के प्रति अलख जगाने के लिए एक योद्धा भारत यात्रा पर निकला है. इस सफाई योद्धा का नाम है लुईस दास है. देशवासियों को डस्टबिन की उपयोगिता समझाने और लोगों में सफाई के प्रति जागरूकता लाने के लिए साइकिल पर सवार होकर उत्तराखंड से भारत भ्रमण पर निकला सफाई योद्धा झाबुआ पहुंचा. जहां उन्होंने आदिवासी ग्रामीण बच्चों को सफाई के प्रति सजग रहने और कोरोना संक्रमण से बचाव के तरीके बताए.

भारत यात्रा पर निकले लुइस

लुईस दास ने अक्टूबर 2019 में हरिद्वार से डस्टबिन की उपयोगिता को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए साइकिल से भारत भ्रमण यात्रा शुरू की. उनकी इस यात्रा का मकसद साफ- सफाई के प्रति लोगों को जागरूक करना है. ताकि कोरोना बीमारियों के संक्रमण को रोका जा सके. इस सफाई योद्धा के पास अपनी एक साइकिल है, जिस पर तिरंगा लहराता है. साइकिल के आगे डस्टबिन अपनाने का संदेश लिखा है. वहीं साइकिल के दाएं- बाएं और पिछले भाग में कोविड-19 से बचाव के तरीके बताए गए हैं.

लुईस दास ने अपनी यात्रा देश में डस्टबिन की उपयोगिता को लेकर शुरू की है. अब तक उन्होंने देश के 8 राज्यों का भ्रमण किया है. वे अपने साथ एक छोटा सा माइक रखते हैं, ताकि रास्ते में आने वाले स्कूल-कॉलेज सहित भीड़भाड़ वाले इलाकों में लोगों को डस्टबिन की उपयोगिता समझा सकें. जब से देश में कोविड-19 का संक्रमण शुरू हुआ, तो उन्होंने डस्टबिन अपनाने के अभियान के साथ कोविड-19 से बचाव का अभियान भी जोड़ लिया. झाबुआ की सीमा से गुजर रहें इंदौर-अहमदाबाद नेशनल हाईवे- 47 के किनारे यह सफाई योद्धा आदिवासी बच्चों को गंदगी से होने वाली बीमारियों से बचने का संदेश देता नजर आया.

बता दे कि, बीते 9 महीनों से अपने घर से दूर सफाई के प्रति जागरूकता लाने के लिए इस सफाई योद्धा ने एक बीड़ा उठाया है. ज्यादा से ज्यादा लोगों को सफाई के प्रति जागरूक करना इनका लक्ष्य है. सफाई योद्धा का कहना है कि, जब लोगों को प्रत्यक्ष रूप से इसके फायदे और नुकसान समझाए जाते हैं, तो इसका असर देखने को मिलता है. लुईस दास अपने साथ कुछ कपड़े ओर एक टेंट के अलावा कुछ नहीं रखे हैं. उनकी यात्रा के दौरान खाने-पीने की व्यवस्था हाईवे से लगे होटल ढाबे उनकी यात्रा का मकसद जानकर निःशुल्क कर देते हैं.

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