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जबलपुर के बदले क्यों भोपाल को बना दी गई थी मध्यप्रदेश की राजधानी

मध्यप्रदेश का गठन होने के बाद सीपी बरार से अलग हटकर मालवा-निमाड़, ग्वालियर, भोपाल, विंध्य प्रदेश और महाकौशल को जोड़कर भारत के सबसे बड़े प्रदेश का गठन किया गया था. जब मध्यप्रदेश का गठन किया गया था, तब इसकी राजधानी जबलपुर को बनाने की चर्चा थी, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते जबलपुर की बजाय भोपाल को राजधना बना दिया गया.

जबलपुर को नहीं बनाया गया राजधानी

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Published : Nov 1, 2019, 11:10 AM IST

Updated : Nov 1, 2019, 3:24 PM IST

जबलपुर। 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश का गठन हुआ था. सीपी बरार से अलग हटकर मालवा-निमाड़, ग्वालियर, भोपाल, विंध्य प्रदेश और महाकौशल को जोड़कर भारत के सबसे बड़े प्रदेश का गठन किया गया था. जब मध्यप्रदेश का गठन किया गया था, तब जबलपुर को मध्यप्रदेश की राजधानी बनाने की चर्चा थी, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते भोपाल को मध्यप्रदेश की राजधानी बना दिया गया. जबलपुर वासियों की मानें तो स्थापना के 63 साल बाद भी इस शहर का विकास नहीं हुआ. लिहाजा, मध्यप्रदेश को फिर से विभाजित करने की मांग कर रहे हैं.

जबलपुर को नहीं बनाया गया राजधानी

मध्यप्रदेश के गठन के बाद से ही दूरस्थ इलाकों में विरोध की चिंगारी भी भड़कने लगी थी. जबलपुर के लोगों ने भोपाल को राजधानी बनाए जाने का विरोध भी किया था. कभी बुंदेलखंड, कभी बघेलखंड और कभी रेवा खंड नाम से तो कभी छत्तीसगढ़ के नाम से अलग प्रदेशों की मांग होती रही है. छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग भी कर दिया गया, लेकिन आज भी प्रदेश को अलग-अलग भागों में बांटने की आवाज कहीं न कहीं उठती ही रहती है.

जबलपुर को रेवा खंड बनाने की मांग

जबलपुर को रेवा खंड नाम से नया प्रदेश बनाने की मांग की जा रही है. लोगों का कहना है कि प्रदेश का ज्यादातर राजस्व महाकौशल और बघेलखंड इलाके की जमीन से मिलता है. ज्यादातर अयस्क की खुदाई इसी इलाके में होती है. एक बड़ी उपजाऊ जमीन इसी इलाके में है और उद्योगों के लिए अच्छे श्रमिक भी इसी इलाके में हैं. इस इलाके में पानी की पर्याप्त सुविधा है, इसके बावजूद विकास के नजरिए से मध्यप्रदेश के नेताओं का पूरा फोकस इंदौर पर रहता है.

पिछड़ापन और बेरोजगारी का झेल रहा दंश

संस्कारधानी के लोगों का कहना है कि जबलपुर के आसपास का पूरा इलाका पिछड़ेपन-बेरोजगारी जैसी समस्याएं झेल रहा है. इसलिए जब राजस्व यहां से मिलता है तो हमारा विकास क्यों नहीं हो रहा है. मध्यप्रदेश का निर्माण करते समय न संस्कृति न भाषा और न ही भौगोलिक आधार देखा गया. इसलिए प्रदेश में बहुत ज्यादा विविधता और दूरियां हैं. इसकी वजह से प्रदेश का विकास नहीं हो पाया है. छोटे प्रदेशों के विकास को देखकर अब फिर से प्रदेश को विभाजित करने की मांग दिन-ब-दिन तेज होती जा रही है.

Last Updated : Nov 1, 2019, 3:24 PM IST

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