जबलपुर। लॉकडाउन के कारण बर्बाद हुए छोटे व्यापारियों को राहत देने के लिए भले ही केंद्र सरकार द्वारा'स्ट्रीट वेंडर योजना' बनाई गई हो, लेकिन मध्य प्रदेश में नगर निगम और बैंकों के सही ढंग से तालमेल न होने के चलते केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी गरीबों की पथ विक्रेता योजना पूरी तरह से फेल हो रही है. फुटपाथ पर सब्जी चार्ट, पान के ठेले लगाने वाले स्ट्रीट वेंडरों को 10 हजार रुपए का लोन पाने के लिए खासी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है, लोन के लिए इन लोगों ने आवेदन तो कर दिए पर नगर निगम और बैंक के बीच फैली उदासीनता के चलते इन पथ विक्रेताओं को शासन की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जबलपुर नगर निगम को 27 हजार पथ विक्रेताओं को लोन दिलवाने का टारगेट मिला था. पर वर्तमान समय तक महज नगर निगम में अभी 18 हजार पात्र लोगों के ही फॉर्म जमा करवाए हैं. इनमें भी बैंक की तरफ से अभी तक सिर्फ सात हजार हितग्राहियों का ही लोन पास हुआ है.
फुटपाथ विक्रेताओं के आगे ये समस्या...कैसे मिलेगा लोन
फुटपाथ पर फल का व्यवसाय करने वाले राजेंद्र गुप्ता बताते हैं कि करीब 2 माह पहले उन्होंने शासन की योजना प्रधानमंत्री निधि योजना के चलते नगर निगम में लोन के लिए फॉर्म जमा किया था. फॉर्म जमा करने के बाद नगर निगम से उनके पास फोन आता है कि वह बैंक जाकर लोन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं. पर बैंक में डिजिटल पेमेंट संबंधी दस्तावेजों का अभाव बताते हुए फल विक्रेता राजेंद्र गुप्ता के लोन को पेंडिंग में डाल दिया जाता है, नतीजन राजेंद्र गुप्ता जैसे कई पथ विक्रेता आज भी लोन का इंतजार कर रहे हैं हालांकि वह भी मानते हैं कि शासकीय योजना महत्व चंद लोगों के लिए ही बनकर रह गई है.
बैंक द्वारा यह बताई जा रही है कमी, प्रशासन भी बैंक के आगे नतमस्तक
जिन पथ विक्रेताओं को शासन के द्वारा मिलने वाले लोन की आवश्यकता है उन्हें बैंक में कुछ दस्तावेजों को देना अनिवार्य है. लोन लेने से पहले पथ विक्रेताओं के पास फोन पे, पेटीएम जैसे डिजिटल पेमेंट संबंधी दस्तावेजों का होना अति आवश्यक है,. यही वजह है कि जब पथ विक्रेता बैंक जब जाता है तो वहां पर डिजिटल पेमेंट संबंधी दस्तावेजों की कमी बताकर बैंक के द्वारा प्रकरण को खारिज किया जा रहा है.
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