जबलपुर। किसी कवि की ये पंक्तियां बहुत कुछ कहती हैं
''छूटी राखी बहन की, मां से हो गया दूर
वंदे मातरम् लिख गया सीमा पर सिंदूर''
'राखी' केवल कच्चे धागे को बांधने का नाम नहीं है, बल्कि वह भाई-बहन के अटूट रिश्ते और प्रेम की गाथा को बयां करता है. हर बहन को सालभर रक्षाबंधन के दिन का इंतजार रहता है. वह पीहर जाकर भाई की कलाई में राखी बांधने के सपने संजोए रखती है.
रक्षाबंधन पर शहीद भाई को याद करती बहन जबलपुर में भी एक बहन है, जिसे पता है कि अब उसका भाई कभी नहीं आ सकेगा, लेकिन उसका चेहरा गर्व से खिल उठता है. हम बात कर रहे हैं पुलवामा हमले में शहीद हुए जिले के खुडाबल गांव के शहीद अश्विनी काछी की, जिनकी बहन पार्वती रक्षाबंधन पर पीहर पहुंची. यहां उन्होंने कहा कि भाई के जाने का दुख तो है, लेकिन हमें गर्व है कि भाई ने परिवार और देश का सम्मान बढ़ाया है. देश की रक्षा में अश्विनी ने जो किया है, अगर मौका आ जाए, तो दूसरे जवानों को भी पीछे नहीं हटना चाहिए.भाई की याद में पार्वती की आंखों में आंसू आ जाते हैं, लेकिन चेहरा गर्व से खिल उठता है कि उसके भाई ने देश की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर कर दिए. उन्होंने कहा कि इस साल स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन एक ही दिन पड़ने से वो गौरवान्वित महसूस कर रही है.परिवार के सदस्यों ने भी एक कमरे में अश्विनी की यादों को संजोने की कोशिश की है. उन्हें मिले मेडल, ट्रॉफी, प्रशंसा पत्र एक कमरे में सजाकर रखा गया है. परिवार वालों ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सीएम कमलनाथ ने भोपाल में सम्मानित करने के लिए परिवार को आमंत्रित किया है.