जबलपुर। किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने राज्य सरकार ने एक नई प्रकिया शुरू की है. जिसके तहत फसलों के उत्पादन और कटाई का आंकलन किया जाएगा. इसमें सेटेलाइट का सहारा लिया जा रहा है, जिसे स्मार्ट सैंपलिंग्स प्रकिया नाम दिया गया है, जबलपुर जिले में इसकी शुरूआत धान की फसल से होने वाली है.
फसलों के उत्पादन के आंकलन में सेटेलाइट का सहारा अब तक ऐसी थी प्रक्रिया
इससे पहले अधिकारी खुद मौके पर जाकर अनुमान के मुताबकि नष्ट फसलों की सैंपलिंग करते थे और उपज का आंकलन भी अनुमानित तौर पर किया जाता है, इन्हीं आंकड़ों के अनुसार सरकार उत्पादन की रिपोर्ट भी तैयार करती थी, जिसकी वजह से पीड़ित किसानों नुकसान के बावजूद मदद नहीं मिल पाती थी, लेकिन अब नई प्रक्रिया से ये समस्या खत्म होने वाली है.
पायलट प्रोजेक्टर से आंकलन
सैंपलिंग में आने वाली सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार इन आंकडो़ं को ज्यादा सटीक बनाना चाहती है. स्मार्ट सैंपलिंग को पायलट प्रोजेक्टर के रूप में चलाया जा रहा है. इसी पायल प्रोजेक्ट् योजना में जबलपुर को भी शामिल किया गया है, इसके तहत सैटेलाइट से नक्शा और पॉइंट तय किए जाएंगे. इसके लिए अच्छी एवं औसत उपज वाले क्षेत्र भी चिन्हिंत किए जा रहे हैं.
सैटेलाइट के जरिए फसलों का आंकलन
सेटेलाइट के माध्यम से जिले की लगभग सभी तहसीलों में 6,158 पॉइंट किए गए हैं, यह पॉइंट खसरे हैं, जो सेटेलाइट से चित्र लेकर तय किए गए हैं. कृषि विभाग का अमला इन पॉइंट पर जाकर फसल की फोटो, किसान, गांव का नाम, तहसील, खसरा नंबर, किसान का मोबाइल नंबर,फसल की स्थिति खराब या अच्छी के साथ निर्धारित एरिया में फसल की कटाई कर उसकी तौल और कई महत्वपूर्ण जानकारियों को मोबाइल ऐप के जरिए भी अपडेट करेगा. इस काम की मॉनिटरिंग निजी एजेंसी करेगी.
इतनी फसल का जबलपुर में हुई उत्पादन
बात अगर जबलपुर की करें तो जिले में इस साल 1.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल की खेती की गई है, जबकि इस सीजन में चार लाख 96 हजार मैट्रिक टन से ज्यादा का उत्पादन हुआ है. बीते सीजन में 1.45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की फसल लगी थी और 5 लाख 25 हजार मैट्रिक टन से ज्यादा उत्पादन हुआ था.
पटवारी और कृषि विभाग के अधिकारी करेंगे सैंपल तैयार
इसके अलावा चना, मसूर, मटर, राई, अलसी और गन्ना की फसल का भी जिले में बड़ा रकवा है. हालांकि कृषि संचालनालय जिन खसरों में सर्वे करवा रहा है. उसकी सूची भी विभाग को दे दी है. कुल मिलाकर दो खसरों पर कृषि विस्तार अधिकारी और दो पर पटवारी सैंपल इन कर आंकड़ा एकत्रित करेंगे.