जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में प्रदेश के आदिवासी और वनवासियों को फॉरेस्ट राईट एक्ट-2006 के तहत दिये गए अधिकारों का समुचित तरीके से क्रियान्वयन न होने को चुनौती दी गई है. दायर मामले में कहा गया कि सरकार ने वनमित्र एप के जरिए समस्याओं के समाधान की व्यवस्था की है, जो कि कारगार नहीं है. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष बुधवार को सुनवाई हुई. इस दौरान सरकार की ओर से जवाब के और समय मांगा गया. इसके बाद कोर्ट ने सरकार को 4 हफ्तों की मोहलत दी है.
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यह जनहित याचिका सतना जिले की मझगावं तहसील अंतर्गत कैलाशपुर पोस्ट के ग्राम कबर निवासी रामकली मवासी की ओर से दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि केन्द्र सरकार ने जंगलों में रहने वाले आदिवासी और वनवासियों के लिये फॉरेस्ट राईट एक्ट-2006 लागू किया था. जिसमें उन्हें कुछ अधिकार प्रदान किये गये थे, लेकिन इसका प्रदेश में पालन नहीं हो रहा है.
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आवेदक की ओर से कहा गया कि सरकार ने वनवासियों की समस्याओं के लिये वन मित्र एप लॉन्च किया है, लेकिन वह कारगार नहीं है. क्योकि जंगलों में रहने वाले गरीब वनवासी ऐप का प्रयोग करने में असक्षम है. वे न तो व्यक्तिगत दावा पेश कर पा रहे और न ही सामुदायिक दावा. मामले में केन्द्र सरकार के आदिवासी कल्याण मंत्रालय के सचिव, मप्र राज्य के मुख्य सचिव, एडीशन चीफ सेके्रटरी आदिवासी कल्याण विभाग को पक्षकार बनाया गया है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए 4 हफ्तों का समय दिया है.