जबलपुर। मध्य प्रदेश में नार्को टेस्ट की सुविधा नहीं होने पर हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. हाईकोेर्ट जस्टिस विशाल घगट ने एकलपीठ ने अपने आदेश में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अपराध व अपराधियों पर अकुंश लगाने के लिए वर्तमान प्रोद्योगिकी युग में जांच एजेंसियों के पास नार्को टेस्ट की सुविधा नहीं है. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि पॉलीग्राफ, नार्को तथा डीडीटी जांच से प्रकरणों में छिपे तथ्यों को जानने के लिए उपयोगी है. जांच एजेंसियां इसका इस्तेमाल कर साक्ष्य एकत्रित कर सकती हैं. युगलपीठ ने आदेश के प्रति प्रदेश के मुख्य सचिव तथा महाधिवक्ता को प्रेषित करने के निर्देश दिये हैं.
कार्रवाई नहीं होने पर याचिका की दायर
एकलपीठ ने यह आदेश अमेटी निवासी उदय प्रताप यादव की तरफ से दायर बंदी प्रत्याक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए जारी किये. दायर याचिका में कहा गया था कि उसकी 25 साल की विवाहिता बहन अपने जेठ-जेठानी के साथ ट्रेन से पति के पास अहमदाबाद जा रही थी. पिपरिया स्टेशन पर वह पानी पीने उतरी थी. इसके बाद वह गायब हो गई. बहन के लापता होने की उन्होंने रेलवे पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई, परंतु कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गयी.
महिला को स्टेशन से किया था अगवा
याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि सीसीटीवी कैमरा की फुटेज की आधार पर आरोपी धनीराम अधिपुरिया को गिरफ्तार किया गया. एक फुटेज में आरोपी महिला को फुटेज में ले जाते हुए दिख रहा है वहीं दूसरे फुटेज में वह महिला को अगले दिन स्टेशन पर छोड़ते जाते दिख रहा है. आरोपी ने पूछताछ के बाद बताया था कि वह बलात्कार करने के लिए महिला को अपने साथ बहला-फुसलाकर ले गया था. जगह नहीं मिलने के कारण वह दूसरे दिन उसे स्टेशन पर छोड़ गया था.