जबलपुर।महीने में एक बार महिलाओं की समस्याओं को लेकर परिवार परामर्श केंद्र महिला थाने में एक विशेष सुनवाई का आयोजन करता है. इस आयोजन में परिवार परामर्श केंद्र के जबलपुर के अहम सदस्य अंशुमान भार्गव 25 सालों से लगातार जुड़े हुए हैं. अंशुमान भार्गव का कहना है कि बीते कुछ दिनों से भी लगातार इस बात को नोटिस कर रहे हैं कि हर बार लगभग 50 से ज्यादा आवेदन बहुओं की तरफ से आ रहे हैं. जिसमें वे सास को जेल भिजवाना चाहती हैं. ज्यादातर आवेदनों में एक बात सामान्य तौर पर नजर आ रही है कि बहू अपने सास-ससुर की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं हैं.
बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही :टूटते परिवारों को बचाने के लिए परिवार परामर्श केंद्र पहली सीढ़ी है, जहां विवादों को निपटने की कोशिश की जाती है. जिला अदालत में फैमिली कोर्ट में ज्यादा भीड़ नजर आ रही है. यहां भी तलाक के ज्यादातर मामले परिवार के बुजुर्गों से जुड़े हुए हैं. हालांकि इनमें दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के लगाए जाते हैं लेकिन समस्या की मूल वजह बुजुर्गों की जिम्मेदारी बन रही है. अमेरिका की एक एजेंसी का दावा है कि भारत में 2025 तक 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों की संख्या 15 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी. इनमें से 50% बुजुर्ग अभी भी संयुक्त परिवारों में रहते हैं, जहां परिवार मिलकर इनकी जिम्मेदारी उठाता है.