जबलपुर।मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर (Sanskardhani Jabalpur) में बीते 25 सालों से खेल की प्रतिभा निकल रही हैं. जिन्हें तराशने का काम वुशु के अंतर्राष्ट्रीय कोच (Wushu International Coach) मनोज गुप्ता कर रहे हैं. वुशु खेल में जबलपुर के 25 से ज्यादा खिलाड़ियों को प्रदेश के सर्वोच्च खेल अलंकरण पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. इस वर्ष भी जबलपुर के वुशु खिलाड़ी (Wushu Player Mp) अर्पित खरे को एकलव्य पुरस्कार (Mp Eklavya Award) दिया जा रहा है. जिस पर उनके कोच मनोज गुप्ता ने खुशी जताई है.
कैसे शुरू हुआ वुशु
वुशु एक पारंपरिक चीनी मार्शल आर्ट (China Marshal Art) खेल है. इस खेल को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है- ताआलू और संसो. ताआलू पूर्व निर्धारित एक्रोबैटिक आंदोलनों से संबंधित है, जहां प्रतियोगी काल्पनिक हमलावरों के खिलाफ उनकी तकनीकियों पर महारत हासिल की है. दूसरी तरफ संसो एक पूर्ण संपर्क खेल है. प्राचीन प्रथाओं और आधुनिक खेल सिद्धांतों का संयोजन है जो कि कुश्ती-किक और मुक्केबाजी जैसा दिखता है. वुशु चीन का लोकप्रिय खेल है. भारत के वुशु एसोसिएशन (India Wushu Association) ने इसे एक ऐसे गेम के रूप में देखा है, जो लड़ाई की गतिविधियों के साथ आंतरिक और बाहरी दोनों अभ्यासों पर ध्यान देता है. भारत में यह खेल पहली बार 1989 में आया था. इस खेल को राष्ट्रीय खेलों में पदक कार्यक्रमों के रूप में खेला जाता है.
मध्यप्रदेश में भी लोकप्रिय खेल हो रहा वुशु (Wushu Famous in Mp)
विश्व और भारत के साथ-साथ वुशु धीरे-धीरे मध्य प्रदेश में भी लोकप्रिय हो रहा है. आलम यह है कि मध्य प्रदेश के सबसे सर्वोच्च पुरस्कार में वुशु ने अपनी एक अलग ही जगह बना ली है. संस्कारधानी जबलपुर से भी विश्व स्तर पर कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी (Wushu International Player) निकल कर सामने आए हैं. जबलपुर के 25 से ज्यादा ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने वुशु खेल में एकलव्य-विक्रम और द्रोणाचार्य अवार्ड (Dronacharya Award) जीते हैं.
वुशु खिलाड़ियों का रहता है दबदबा
राज्य सरकार के सर्वोच्च पुरस्कार में हर वर्ष वुशु के खिलाड़ी जरूर होता है. 2006 के बाद से लगातार वुशु खिलाड़ी मध्य प्रदेश का सर्वोच्च पुरस्कार जीत रहे हैं. 2006 में पहली बार मोनिका नामदेव ने एकलव्य पुरस्कार जीता था. उसके बाद से हर साल कोई न कोई खिलाड़ी इस सर्वोच्च पुरस्कार को जीतने में कामयाब हो रहा है. 2020 में स्पर्श खरे (Wushu Player Sharsh Khare) ने एकलव्य अवार्ड जीता, 2019 में अंशिता पांडे को यह अवार्ड मिला था.
एकाग्रता और तेजी है इस खेल की सफलता
2019 में एकलव्य पुरस्कार जीतने वाली अंशिता पांडे बताती हैं कि इस खेल में अगर सफल होना है तो खिलाड़ियों में एकाग्रता और तेजी होनी चाहिए. अंशिता पांडे (Award Winner Anshita Pandey) बताती हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार और पदक जीतने के लिए वह सुबह-शाम 4-4 घंटे मेहनत करतीं थीं और मेहनत रंग भी लाई. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना जौहर दिखाते हुए मैंने मध्य प्रदेश का नाम रोशन किया है.