जबलपुर। सिविल जज की नियुक्तियों में विकलांगता कोटे का लाभ नहीं दिए जाने को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अनुसूचित जाति श्रेणी की एक मात्र विकलांग महिला उम्मीदवार थी, लेकिन कोटे के लाभ नहीं दिए जाने के कारण उसका चयन नहीं हो सका. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को विकलांगता कोटे का लाभ दिए जाने का आदेश जारी करते हुए याचिका का निराकरण किया.
विकलांग होने के बाद भी नहीं हुआ था चयन
याचिकाकर्ता सरोज डेहरिया की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उच्च न्यायालय ने साल 2018 में सिविल जज के 190 पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा के संबंध में नोटिस जारी किया था. नोटिस के अनुसार सामान्य वर्ग के लिए 95, ओबीसी वर्ग के लिए 27, एससी वर्ग 30 के लिए और एसटी वर्ग 38 के लिए पद आरक्षित थे. वह एससी वर्ग की उम्मीदवार होने के साथ विकलांग थी. उनके प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण की और साक्षात्कार में शामिल हुई.