जबलपुर। प्रदेश के छतरपुर में नेशनल टाइगर कंजरवेटर अथॉरिटी और वाइल्ड लाइफ बोर्ड की अनुमति बगैर टाइगर कॉरीडोर में हीरा खदान के लिए बक्सवाहा जंगल की जमीन आवंटित किए जाने को चुनौती देने वाले मामले को हाई कोर्ट ने सख्ती से लिया है. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार की उन दलीलों को नकार दिया, जिसमें कहा गया था कि जंगल काटने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है. युगलपीठ ने मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए है. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.
- एनटीसीए और वाइल्ड लाइफ बोर्ड से नहीं ली गई अनुमति
हरियाणा फरिदाबाद निवासी रमित बासु, महाराष्ट्र पुणे निवासी हर्षवर्धन मेलांता और उत्तर प्रदेश निवासी पंकज कुमार की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने हीरे की खदान के लिए आदित्य बिरला ग्रुप की एस्सल माइनिंग एंड इंड्रस्ट्री को छतरपुर स्थित बक्सवाहा के जंगल की 382 हैक्टेयर जमीन 50 साल की लीज के लिए प्रदान की गई है. हीरा उत्खन्न के लिए रेन फारेस्ट के लगभग सवा दो लाख पेड़ों को काटा जाएगा. जबकि बक्सवाहा जंगल पन्ना टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है, जो टाइगर कॉरीडोर में आता है. इसके लिए एनटीसीए और वाइल्ड लाइफ बोर्ड से अनुमति भी नहीं ली गई.
हीरे के लिए Buxwaha के जंगलों को 'जलाने' की तैयारी! National Green Tribunal ने मांगा जवाब
- सरकार का यह निर्णय गलत है- आवेदक