जबलपुर। तांडव वेब सीरीज में हिंदू भावनाओं के आहत होने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए याचिकाकर्ता को निर्देशित किया है कि वह अथाॅरिटी के समक्ष अभ्यावेदन पेश करें
याचिकाकर्ता आदित्य तिवारी ने दायर की है याचिका
याचिकाकर्ता आदित्य तिवारी की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि तांडव वेब सीरीज हिंदू समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाली है. याचिका में कहा गया था कि ओटीटी प्लेटफार्म में बनने वाली वेब सीरीज का प्रसारण विषय वस्तु का परीक्षण किए बिना किया जाता है. फिल्मों के प्रसारण के लिए सेंसर बोर्ड की अनुमति आवश्यक है, इसी तरह ओटीटी प्लेटफार्म में बनने वाली वेब सीरीज की वस्तुओं के परीक्षण के लिए भी एजेंसी होनी चाहिए. इसके अलावा बेव सीरीज से विवादित दृष्यों को हटाया जाए.
'इस संबंध में कोई कानून नहीं'
याचिका की सुनवाई के बाद सरकार की तरफ से बताया गया कि इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया, इंटरनेट में कई आपत्तिजनक वस्तु उपलब्ध हैं और निर्धारित राषि देकर लोग वेब सीरीज इंटरनेट के माध्यम से देखते हैं. ये लोगों की स्वेच्छा का विषय है और इस संबंध में कोई कानून नहीं है. युगलपीठ ने कानून नहीं होने के कारण याचिका में हस्ताक्षेप करने से इंकार कर दिया. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देशित किया है कि इस संबंध में वह सक्षम अथाॅरिटी के समक्ष अभ्यावेदन पेश करें.