जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में बढ़ते बर्ड फ्लू के संभावित खतरे के खिलाफ दायर मामले में सरकार की ओर से दिये गये जवाब पर पूछा है कि साल 2006 में गठित हाई पॉवर कमेटी के सुझावों पर अब तक क्या कार्रवाई की है. चीफ जस्टिस मो. रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इसके लिये दो सप्ताह की मोहलत प्रदान की है.
यह जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दायर किया गया है. जिसमें कहा गया है कि जबलपुर जिले में बड़ी संख्या में पोल्ट्री फार्म है. रहवासी इलाकों में भी पोल्टी फार्म संचालित हो रहे हैं. प्रदेश के कई शहरों में बर्ड फ्लू फेल चुका है और अन्य शहरों में फैलने का संभावित खतरा बना हुआ है. पूरे महाकौशल क्षेत्र और मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बर्ड फ्लू इंसानों के लिए एक बड़ा खतरा बन हुआ है. वर्तमान में कोविड-19 महामारी फैली हुई और बर्ड फ्लू जनता के लिए घातक साबित हो सकता है. सरकार द्वारा इसकी रोकथाम के लिये यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो अराजकता और तबाही का माहौल निर्मित हो सकता है.
बर्ड फ्लू को लेकर जनहित याचिका याचिका में कहा गया है कि साल 2006 में फैले बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए उन्होने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए कमेटी गठित करने तथा उनके सुझाव पर आवश्यकता अनुसार कारवाई करने के निर्देश दिये थे. याचिका में कहा गया था कि कमेटी की रिपोर्ट पर आवश्यकता अनुसार कार्रवाई नहीं की गयी है.
मामले में प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव सहित कलेक्टर, निगमायुक्त तथा सीएमएचओं को पक्षकार बनाया गया है. मामले की पिछली सुनवाई दौरान सरकार की ओर से कहा गया था कि केन्द्र सरकार के मतस्य पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा जारी एडवार्जरी के परिपालन के लिए सभी जिला कलेक्टर को निर्देश जारी किये गये हैं. एडवायजरी के अनुसार कलेक्टर की अध्यक्षता में पशुपालन, वन तथा स्वास्थ्य विभाग सहित नगरी निकाय की एक कमेटी बनाने के निर्देश भी दिये गये हैं.
इसके अलावा राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा रोग अनुसंधान प्रयोग शाला भोपाल में जांच के लिए सैंपल भेजने सहित अन्य दिशा-निर्देश का परिपालन सुनिश्चित करने भी आदेश जारी किये गये हैं. प्रदेश में इंदौर, मंदसौर तथा आगर में बर्ड फ्लू की पुष्टि की गयी है. मामले में गुरुवार को हुई सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने उक्त निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिये मुलतवी कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की