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विकास के बहाने नहीं काटे जाएंगे हरे-भरे पेड़, जंगल संरक्षित करने का सरकार ने किया वादा - निकिता खम्परिया याचिकाकर्ता

विकास के नाम पर बिना अनुमति हरे-भरे पेड़ काटने को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट में अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी. हालांकि, राज्य सरकार ने कोर्ट में माना है कि वो हरे-भरे पेड़ों को नहीं काटेगी, बल्कि जंगल को संरक्षित करेगी.

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Published : Nov 26, 2020, 7:30 AM IST

जबलपुर। डुमना में रोड चौड़ीकरण व अन्य विकास कार्यों को लेकर हरे-भरे जंगल काटे जाने को चुनौती देने वाले मामले में बुधवार को सरकार की ओर से पूर्व आदेश के परिपालन में प्रपोजल दिया गया. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की है, विस्तृत आदेश की फिलहाल प्रतीक्षा है.

ये जनहित याचिका गढ़ा गंगा नगर कॉलोनी निवासी निकिता खम्परिया की ओर से दायर किया गया है, जिसमें कहा गया कि डुमना के हरे-भरे जंगल को बिना केन्द्र सरकार की अनुमति लिये काटा जा रहा है, जोकि अवैधानिक है. आवेदक का कहना है कि मास्टर प्लान के तहत सड़क चौड़ीकरण व अन्य विकास कार्यों के नाम पर शहरी जंगल को काटा जा रहा है, जबकि नियमानुसार उसकी केन्द्र सरकार से अनुमति नहीं ली गई है. इतना ही नहीं आवेदक का कहना है कि नगर निगम की जिस अनुमति को दर्शाया जा रहा है, वह उक्त मामले में पर्याप्त नहीं है. इस मामले में केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के सचिव, प्रमुख सचिव वन विभाग, नगर निगम आयुक्त व पीडब्ल्यूडी ईई को पक्षकार बनाया गया है.

इस मामले में कोर्ट ने 29 सितंबर को सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के लिए आदेशित किया था, पिछली सुनवाई में सरकार ने अंडरटेकिंग दी थी कि वो हरे-भरे पेड़ों को नहीं काटेगी, बल्कि उन्हें संरक्षित करेगी. बुधवार को हुई सुनवाई में सरकार की ओर से प्रपोजल पेश किया गया, जिसकी कॉपी आवेदक को उपलब्ध कराने का आदेश देकर कोर्ट ने मामले की सुनवाई 2 दिसंबर तक के लिये मुलतवी कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्रेयश पंडित पैरवी कर रहे हैं.

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