जबलपुर। सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे देने के बाद सरकार पर संकट आ गया है. जिसके चलते जहां बीजेपी फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है. वहीं सरकार कांग्रेसी विधायकों को बंधक बनाने का आरोप लगा रही है और उनके आने के बाद ही फ्लोर टेस्ट कराने की बात कर रही है. इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष ने कोरोना वायरस का हवाला देते हुए 26 मार्च तक विधानसभा स्थगित कर दी है. जिसके बाद पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में ईटीवी भारत ने वरिष्ठ अधिवक्ता रविनंदन सिंह से बात की.
विधानसभा में नहीं बनी बात, अब सुप्रीम कोर्ट से आस, महाधिवक्ता से जाने हर दांव पेंच के राज
सियासी उठापटक के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने कोरोना वायरस का हवाला देते 26 मार्च तक विधानसभा स्थगित कर दी है. जिसके बाद बीजेपी सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई है. ऐसे में प्रदेश की सियासत में क्या स्थिति हो सकती है, इस मामले में ईटीवी भारत ने वरिष्ठ अधिवक्ता रविनंदन सिंह से बात की.
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में फ्लोर टेस्ट के अलावा दूसरा कोई तरीका है ही नहीं. ऐसे में अब जबकि भाजपा सुप्रीम कोर्ट गई है तो वहां से भी तुरंत फ्लोर टेस्ट के ही निर्देश दिए जाएंगे. उन्होंने बताया कि संविधान की धारा आर्टिकल 175 '2' में गवर्नर को यह अधिकार है कि वे व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कहे. सरकार ने उनकी बात ना मानकर आदेश की अवहेलना की है. ऐसे में राष्ट्रपति शासन लागू करते हुए सरकार को तुरंत बर्खास्त भी करना चाहिए.
रविनंदन सिंह की मानें तो अगर ऐसा होता है तो जनता के ऊपर चुनाव का भार फिर से पड़ेगा. अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले में क्या फैसला सुनाती है.