जबलपुर। उमरिया-डूंगरिया इंडस्ट्रियल पार्क में प्लास्टिक के उत्पाद बनाने वाली छोटी-छोटी फैक्ट्रियां हैं. फैक्ट्री मालिकों ने अपने कामगारों के सहयोग से कामकाज तो शुरू कर दिया है, लेकिन इनके सामने बड़ी समस्या ये हैं कि, लॉकडाउन में बिजली के भारी भरकम बिलों भुगतान कैसे करें. फैक्ट्री मालिकों ने दो महीने के बिल माफ करने की गुहार लगाई है. लॉकडाउन की वजह से कारखाना मालिकों की माली हालत बिगड़ चुकी है. इसलिए कारखाना मालिकों ने राज्य सरकार से बिजली के बिलों को माफ करने की गुहार लगाई है.
फैक्ट्री मालिकों ने सरकार से लगाई गुहार, बिजली बिल माफ करे सरकार
जबलपुर के उमरिया-डूंगरिया इंडस्ट्रियल पार्क में प्लास्टिक के उत्पाद बनाने वाली छोटी-छोटी फैक्ट्रियां हैं. फैक्ट्री मालिकों ने अपने कामगारों के सहयोग से कामकाज तो शुरू कर दिया है, लेकिन इनके सामने बड़ी समस्या ये हैं कि, लॉकडाउन में बिजली के भारी भरकम बिलों भुगतान कैसे करें. फैक्ट्री मालिकों ने दो महीने के बिल माफ करने की गुहार लगाई है.
फैक्ट्री मालिकों के मुताबिक हर इंडस्ट्री को मिनिमम लोड का फिक्स चार्ज देना ही पड़ता है. चाहे वह इंडस्ट्री चालू हो या फिर बंद. लेकिन लॉकडाउन की वजह से किसी भी फैक्ट्री में कोई कामकाज नहीं हुआ है. फैक्ट्री संचालकों के सामने बाजार बंद होने की वजह से कैश की भी समस्या खड़ी हो गई है. जो माल बाजार में भेजा था, उसका पैसा भी अभी तक नहीं आया है. वहीं दो महीने तक कामगारों को रोकने के लिए तनख्वाह भी दी गई है और बैंकों की किस्ते भी देने के लिए पैसे उधार लेते रहे.
दोबारा फैक्ट्री चालू करने में भी पैसों का इंतजाम करना पड़ रहा है, इसलिए इन छोटे फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि, केंद्र सरकार ने जो 20 लाख करोड़ की राहत उन्हें पहुंचाई है, उसका सीधा फायदा तुरंत नहीं मिलेगा, फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि, अगर सरकार बिजली बिलों में थोड़ी सी राहत दे दें, तो कारोबार को दोबारा से पटरी पर लाने के लिए संजीवनी मिल जाएगी.