इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में बुजुर्गों के साथ हुए अमानवीय व्यवहार से सबक लेते हुए, अब शहर में तमाम भिखारियों को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. इतना ही नहीं जो भिखारी अलग-अलग जगहों से इलाज से लेकर देखभाल और पुनर्वास के लिए शिविरों में लाए जा रहे हैं, उनमें फराटे दार इंग्लिश बोलने वाले भिखारियों से लेकर करोड़पति भिखारी भी शामिल हैं. जिन्हें अलग-अलग परिस्थितियों ने भीख मांगने पर मजबूर कर रखा था. जबकि इंदौर जिला प्रशासन ने शहर को भिक्षु मुक्त बनाने का
अभियान शुरू किया है. जिसके उपलब्धि पूर्ण नतीजे सामने आ रहे हैं. आज हम आपको करोड़पति रमेश यादव और फर्राटेदार इंग्लिश बोलने वाले श्याम बिहारी के बारे में बताएंगे क्यों कि यह दोनों ही संपन्न परिवार से लेकिन नेश की लत के कारण आज अपने जीवन का अंतिम पड़ाव शिविर में गुजारने को मजबूर है.
नर्तकी का श्राप! जिसके बाद से गढ़पहरा किले में पसरा है सन्नाटा
करोड़पति रमेश यादव से लेकर इंग्लिश लिटरेट श्याम बिहारी तक
इंदौर में अपनी तरह के इस पहले शिविर में ऐसे भी भिखारी पाए गए है जो करोड़पति हैं, लेकिन शराब और नशे की लत ने उन्हें भिखारी बना रखा था. शिविर में ऐसे भी भिक्षुक लाए गए हैं, जो फराटेदार अंग्रेजी बोलते हैं. वहीं शिविर में रमेश यादव नामक एक ऐसे व्यक्ति को लाया गया है जो सड़कों पर भीख मांगता थे लेकिन जब एनजीओ के कार्यकर्ताओं ने इनके परिवार जनों से संपर्क किया तो पता चला रमेश यादव के नाम पर शहर में करोड़ों रुपए की संपत्ति है. वहीं रमेश यादव के घर के कमरे में लगभग चार लाख का इंटीरियर और एसी लगा हुआ है. इसके अलावा रमेश के नाम पर बंगला और करोड़ों रुपए का प्लांट भी पाया गया. फिर भी नशे की लत के कारण घर वालों ने इन्हें बेघर कर दिया. हालांकि अब रमेश यादव ने वादा किया है कि वह पीने की लत छोड़ देंगे. वहीं उनके परिजनों ने भी जिला प्रशासन को आश्वस्त किया है कि नशे की लत छोड़ने पर वह इन्हें सभी सुविधाएं और आश्रय फिर से मुहैया कराएंगे. एनजीओ कार्यकर्ता शिवानी जैन ने बताया कि हमने करोड़पति रमेश यादव को रेस्क्यू किया है और यह दो साल से भीख मांगकर अपना काम चला रहे थे. उन्होंने बताया कि जब हमने इनके परिजनों से संपर्क किया तो इनके खुद के कमरे में चार लाख का इंटीरियर है.