इंदौर। अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन की घड़ी जैसे-जैसे निकट आ रही है, वैसे वैसे राम मंदिर में रामशिला के जरिए अपना अंशदान देने वाले हजारों श्रद्धालु उस दौर को भी याद कर रहे हैं. जिस समय भारी सांप्रदायिक संघर्ष और कर्फ्यू के दौरान उन्होंने तरह-तरह की रामशिलाएं घर-घर से पूजन के पश्चात अयोध्या भिजवाई थी, मालवा में रामशिला पूजन के उस दौर के प्रणेता थे, इंदौर के रामेश्वर मुकाती जिनके अथक संघर्ष से घर-घर पूजन के बाद भेजी गई हजारों रामशिलाएं अब राम मंदिर निर्माण की नींव बनेंगी.
स्वर्गीय रामेश्वर मुकाती का राम मंदिर आंदोलन में योगदान
सुखलिया क्षेत्र में अयोध्या कांड से ही लगातार स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों का केंद्र रहा यह छोटा सा घर अब राम मंदिर निर्माण को लेकर फिर चर्चा में है. दरअसल यह घर है 90 के दशक में मालवा अंचल में राम मंदिर आंदोलन के साथ रामशिला पूजन की अगुवाई करने वाले कुशल संगठक और हिंदू धर्मवीर स्वर्गीय रामेश्वर मुकाती का, जो आज मंदिर के भूमि पूजन प्रसंग का हिस्सा तो नहीं है, लेकिन उनका योगदान अंचल में आज भी याद किया जा रहा है, मूल रूप से धार जिले के बिल्लोद मानपुर ग्राम के निवासी रामेश्वर मुकाती शुरुआती दिनों में वकालत करते-करते स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना जीवन ही संघ की गतिविधियों और राम मंदिर आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया.
घर-घर रामशिला पूजन अभियान
1985 में जब रामेश्वर मुकाती का परिवार इंदौर पहुंचा तो मुकाती की कुशल संगठन क्षमता देखकर संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने उन्हें अयोध्या आंदोलन की सबसे प्रमुख गतिविधि रामशिला पूजन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी. इसके बाद इंदौर में संघ पदाधिकारी चंद्र मोहन दुबे और अनिल डागा समेत अंचल के तमाम वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन में रामेश्वर मुकाती ने घर-घर रामशिला पूजन के अभियान को जन आंदोलन के रूप में बदल दिया.
इस दौरान हजारों रामशिलाएं घर-घर से पूजन के पश्चात उन्हीं की अगुवाई में लगातार अयोध्या भेजी गईं. जिसके फलस्वरूप शहरभर के लोग उन्हें रामशिला पूजन के पुरोधा के रूप में जानते थे. उसी दौर में अंचल की तमाम रणनीतियां उनके कुशल मार्गदर्शन में ही बनती थीं. यही वजह रही की अयोध्या आंदोलन के दौरान मालवा अंचल में संघ की गतिविधियां देशभर में चर्चा में रहीं उनके इसी योगदान के चलते तत्कालीन संघ प्रमुख के एस सुदर्शन और राजमाता सिंधिया भी संघ की बैठकों में उनकी तारीफ किए बिना नहीं थकते थे.