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मालवांचल में इस घर से हुआ था रामशिला पूजन का शंखनाद, मंदिर निर्माण में काम आएंगी रामशिलाएं

राम मंदिर निर्माण को लेकर रामेश्वर मुकाती को जानने वाले लोग आज खासे खुश भी हैं, लेकिन मुकाती को याद भी कर रहे हैं. कई लोगों का मानना है कि उस समय मुकाती जी द्वारा भेजी गई रामशिलाएं अब कहीं ना कहीं मंदिर निर्माण में काम आएंगी और उनके अंशदान का हिस्सा बनेंगी.

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Published : Aug 4, 2020, 5:42 PM IST

Rameshwar Mukati's contribution to Ram temple
राम मंदिर निर्माण में रामेश्वर मुकाती का योगदान

इंदौर। अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन की घड़ी जैसे-जैसे निकट आ रही है, वैसे वैसे राम मंदिर में रामशिला के जरिए अपना अंशदान देने वाले हजारों श्रद्धालु उस दौर को भी याद कर रहे हैं. जिस समय भारी सांप्रदायिक संघर्ष और कर्फ्यू के दौरान उन्होंने तरह-तरह की रामशिलाएं घर-घर से पूजन के पश्चात अयोध्या भिजवाई थी, मालवा में रामशिला पूजन के उस दौर के प्रणेता थे, इंदौर के रामेश्वर मुकाती जिनके अथक संघर्ष से घर-घर पूजन के बाद भेजी गई हजारों रामशिलाएं अब राम मंदिर निर्माण की नींव बनेंगी.

राम मंदिर निर्माण में रामेश्वर मुकाती का योगदान

स्वर्गीय रामेश्वर मुकाती का राम मंदिर आंदोलन में योगदान

सुखलिया क्षेत्र में अयोध्या कांड से ही लगातार स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों का केंद्र रहा यह छोटा सा घर अब राम मंदिर निर्माण को लेकर फिर चर्चा में है. दरअसल यह घर है 90 के दशक में मालवा अंचल में राम मंदिर आंदोलन के साथ रामशिला पूजन की अगुवाई करने वाले कुशल संगठक और हिंदू धर्मवीर स्वर्गीय रामेश्वर मुकाती का, जो आज मंदिर के भूमि पूजन प्रसंग का हिस्सा तो नहीं है, लेकिन उनका योगदान अंचल में आज भी याद किया जा रहा है, मूल रूप से धार जिले के बिल्लोद मानपुर ग्राम के निवासी रामेश्वर मुकाती शुरुआती दिनों में वकालत करते-करते स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना जीवन ही संघ की गतिविधियों और राम मंदिर आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया.

स्वर्गीय रामेश्वर मुकाती

घर-घर रामशिला पूजन अभियान

1985 में जब रामेश्वर मुकाती का परिवार इंदौर पहुंचा तो मुकाती की कुशल संगठन क्षमता देखकर संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने उन्हें अयोध्या आंदोलन की सबसे प्रमुख गतिविधि रामशिला पूजन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी. इसके बाद इंदौर में संघ पदाधिकारी चंद्र मोहन दुबे और अनिल डागा समेत अंचल के तमाम वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन में रामेश्वर मुकाती ने घर-घर रामशिला पूजन के अभियान को जन आंदोलन के रूप में बदल दिया.

इस दौरान हजारों रामशिलाएं घर-घर से पूजन के पश्चात उन्हीं की अगुवाई में लगातार अयोध्या भेजी गईं. जिसके फलस्वरूप शहरभर के लोग उन्हें रामशिला पूजन के पुरोधा के रूप में जानते थे. उसी दौर में अंचल की तमाम रणनीतियां उनके कुशल मार्गदर्शन में ही बनती थीं. यही वजह रही की अयोध्या आंदोलन के दौरान मालवा अंचल में संघ की गतिविधियां देशभर में चर्चा में रहीं उनके इसी योगदान के चलते तत्कालीन संघ प्रमुख के एस सुदर्शन और राजमाता सिंधिया भी संघ की बैठकों में उनकी तारीफ किए बिना नहीं थकते थे.

मंदिर निर्माण का सपना देखते-देखते हो गए स्वर्गवासी

मुकाती भाजपा के पित्र पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे के भी कृपा पात्र रहे और धार के वरिष्ठ भाजपा नेता विक्रम वर्मा के खासे करीबी रहे, राम मंदिर आंदोलन जब 90 के बाद धीमा पड़ा तब भी रामेश्वर मुकाती हमेशा संघ के स्थानीय स्तर पर रणनीतिकारों में शामिल रहे दिन रात में मंदिर निर्माण का सपना देखते थे और मंदिर निर्माण की तमाम गतिविधियों को लेकर वह हमेशा तत्पर रहते थे. इसी बीच अचानक 2 जून 2006 को अयोध्या आंदोलन के पुरोधा की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई, उनका निधन संघ परिवार के लिए भी एक बड़ी क्षति थी. लिहाजा उनके परिवार को आज भी संघ परिवार अपना मानते हुए अयोध्या आंदोलन में मुकाती के योगदान का ऋणी है.

मंदिर के लिए स्वयंसेवकों के भरोसे छोड़ना पड़ा परिवार

1989-90 में जब राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर आया तो रामेश्वर मुकाती को अपनी धर्मपत्नी और छोटे-छोटे बच्चों को घर पर ही अकेला छोड़कर रामशिला पूजन संघ की महत्वपूर्ण गतिविधियों का जमीनी नेतृत्व करने जाना पड़ा. उसी दौरान उनकी एक बेटी की तबीयत बिगड़ गई, तो उसे 9 दिनों के लिए इंदौर के ग्रेटर कैलाश अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. यहां उनकी अनुपस्थिति में स्वयंसेवकों ने जब परिवार को तमाम चिकित्सा सुविधाएं देते हुए अपने परिवार की तरह संभाला तो परिवार को एहसास हुआ कि रामेश्वर अपने परिवार ही नहीं बल्कि संघ परिवार के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं.

मंदिर का हिस्सा बनेंगी इंदौर की रामशिलाएं

राम मंदिर निर्माण को लेकर रामेश्वर मुकाती को जानने वाले लोग आज खासे खुश भी हैं, लेकिन मुकाती को याद भी कर रहे हैं. कई लोगों का मानना है कि उस समय मुकाती जी द्वारा भेजी गई रामशिलाएं अब कहीं ना कहीं मंदिर निर्माण में काम आएंगी और उनके अंशदान का हिस्सा बनेंगी, कई कार्यकर्ता ऐसे भी हैं जो उस दौरान मुकाती की प्रेरणा से कार सेवा का हिस्सा बने थे. जो आज मंदिर के भूमि पूजन से खासे अभिभूत हैं. वहीं अपने प्रिय संगठक मुकाती को उनके योगदान के लिए याद भी कर रहे हैं.

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