इंदौर। वन विभाग ने प्रदेश की ऐसी पहली नर्सरी बनाई है, जो काबिले तारीफ है. यहां ग्रह-नक्षत्र और राशियों के आधार पर पौधों को इंडिकेट किया गया है. नर्सरी में प्रवेश करते ही ग्रह और नक्षत्रों से संबंधित टेंपलेट्स दिखने शुरू हो जाते हैं. सभी पेड़ों के नीचे उन पेड़ों का ग्रह-नक्षत्र और राशियों का प्रभाव भी बताया गया है. इस पूरी मुहिम का उद्देश्य शहर में प्लांटेशन को बढ़ाना है.
नर्सरी जहां नक्षत्रों और राशियों से संबंधित हैं पौधे
पेड़-पौधों पर भी नक्षत्रों का प्रभाव
वन विभाग ने नर्सरी में हर पेड़ के नीचे टेंप्लेट्स लगाए हैं, जिनमें पेड़ों का ग्रह-नक्षत्र और राशियों का प्रभाव लिखा हुआ है. साथ ही बताया गया है कि किस राशि, ग्रह और नक्षत्र में कौन सा पेड़ काम आएगा. वन विभाग का ऐसा मानना है कि लोग इन पेड़ों को नर्सरी से ले जाएं और ग्रह-नक्षत्रों के हिसाब से इनकी रोजाना पूजा करें, ताकि उनकी राशि में जिस ग्रह-नक्षत्र का प्रतिकूल प्रभाव है, वह कम हो सके. वहीं ऐसा करने से लोग पर्यावरण और पौधों को आसानी से सहेज सकते हैं.
यह है मान्यता
नर्सरी में अशोक का पेड़ भी मौजूद है. अशोक यानि जिससे शोक नहीं हो या जो शोक को खत्म कर दे. इसके बारे में वन विभाग ने लिखा है कि शोक नाशक होने के कारण इस पेड़ को अशोक कहा गया है. कहा जाता है कि रावण जब माता सीता को हरण करके ले गया था, तो जिस अशोक के पेड़ के नीचे माता सीता को रखा गया था, उसी पौराणिक पंचवटी का सदस्य ये वृक्ष है, जिसे वन विभाग ने सहेज कर रखा हुआ है.
पूरी मुहिम का उद्देश्य
आम आदमी ग्रह-नक्षत्रों और राशियों से काफी डरता है और इनके बुरे असर से बचने के लिए कई तरह के प्रयास करता है, लेकिन कभी-कभी उसे निराशा भी हाथ लगती है. अगर कोई व्यक्ति नर्सरी से अपनी राशि से संबंधित पेड़ या पौधा लेता है, तो निश्चित तौर पर पर्यावरण को सहेजने के लिए उसका यह पहला कदम होगा. वहीं ऐसा करने से वृक्षारोपण तो होगा ही, बुरे ग्रहों का प्रभाव भी खत्म होगा, साथ ही वातावरण भी शुद्ध होगा.
वन विभाग की इस पूरी मुहिम का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि ग्रह नक्षत्र और राशियों का सहारा लेकर शहर में प्लांटेशन को बढ़ाया जा सके, ताकि आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित रहें.