इंदौर। तरह-तरह के व्यंजनों के लिए चर्चित इंदौर अब सेब (apple farming in indore) की खेती के क्षेत्र में भी आगे आया है. यहां पहली बार एक किसान ने 20 पौधों से शुरुआत कर सफलतापूर्वक सेब फल की खेती शुरू की है. जिले के खुडैल खुर्द में रहने वाले उन्नत किसान संतोष सोमतिया जल्द ही बड़े पैमाने पर सेब फल के उत्पादन की तैयारी में हैं.
हिमाचल प्रदेश से मंगाए थे ऑनलाइन पौधे
हर प्रकार की फसल के लिए मुफीद मानी जाने वाली मालवा की मिट्टी और जलवायु में हिमाचल के सेब (benefit of apple farming in Indore) के फलों की भी पैदावार शुरू हो गई है. किसान संतोष सोमतिया ने मालवा की जलवायु में दो साल पहले सेब के पौधे लगाने के लिए हिमाचल प्रदेश से ऑनलाइन 16 पौधे मंगाए थे. इन्हें उन्होंने अपने बगीचे में लगाया. बीते तीन साल के दौरान 16 में से करीब 12 पौधे जलवायु और चींटी समेत अन्य कारणों से मुरझा गए. 4 पौधे बच गए, जो अब तेजी से विकसित होकर फल दे रहे हैं.
सेब के पेड़ों पर फ्लावरिंग शुरू
बीते साल इन चारों पौधों पर पहली बार फल आए थे. इस सीजन में सर्दियों में ही इनमें फ्लावरिंग शुरू हो गई है, जिसे देखकर संतोष बहुत खुश हैं. हालांकि सर्दियों के सीजन में इन पौधों से फ्रूटिंग (variety of apple in indore) नहीं ली जाएगी, क्योंकि यह पौधे गर्मी में फल देने वाले हैं. कोशिश की जा रही है कि इन चारों पौधों पर फरवरी में ज्यादा से ज्यादा फल तैयार कर उनके उत्पादन में वृद्धि की जाए. वहीं उद्यानिकी विभाग भी खासा उत्साहित है, जो इस क्षेत्र में आने वाले किसानों को मदद करने के लिए तैयार है.
गर्म जलवायु के लिए बनीं हैं दो किस्में
हिमाचल प्रदेश की जलवायु मध्य प्रदेश की जलवायु से तुलनात्मक रूप से बहुत ठंडी है. मध्य प्रदेश की मिट्टी एवं पानी में भी बड़ा अंतर है. यही वजह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद भी सेब की खेती मध्यप्रदेश में नहीं हो पा रही थी. इस बीच हिमाचल के अलावा अन्य इलाकों में भी सेब फल की पैदावार के लिए कुछ वर्षों पहले ही दो किस्में विकसित की गई हैं, जिनमें हरमन 99 और अन्ना हैं. ये दोनों वैरायटी गर्म इलाकों में भी लगाई जा सकती हैं. इंदौर में अन्ना वैरायटी के ही 16 पौधे लगाए गए थे. इनमें से 4 बचे हैं. अब वे बड़े होकर फ्रूटिंग और फ्लावरिंग की स्थिति में हैं.