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भूखों के निवाले पर डाका! 80 लाख के राशन घोटाले में 31 पर FIR, तीन पर NSA - प्रभारी फूड कंट्रोलर आरसी मीणा

इंदौर शहर में 80 लाख रुपये से अधिक का राशन घोटाला हुआ है, जिसमें 12 राशन दुकानों से लगभग 51000 गरीब परिवारों के निवाले पर डाका डाला गया है. जिसकी जानकारी मिलते ही प्रशासन ने कई दुकानों पर छापेमारी की. साथ ही तीन आरोपियों पर रासुका के तहत कार्रवाई भी की जा रही है.

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राशन घोटाला

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Published : Jan 19, 2021, 3:51 PM IST

Updated : Jan 19, 2021, 9:56 PM IST

इंदौर। जिला प्रशासन ने 80 लाख रुपये से अधिक का राशन घोटाला उजागर किया है, 12 सरकारी राशन दुकानों के जरिए करीब 51000 गरीब परिवारों के निवाले पर डाका डाला गया है. राशन माफियाओं ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत मिलने वाले खाद्यान्न में भी हेराफेरी की थी, जिसके तहत 12 जनवरी को शहर में दर्जन भर से अधिक दुकानों पर कार्रवाई की गई. लॉकडाउन के दौरान सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले अनाज की कालाबाजारी की गई. साथ ही पैकेट वाले अनाज को निजी दुकानों पर बेचने का मामला भी सामने आया था. इस पूरी कार्रवाई में प्रशासन ने तीन लोगों पर रासुका और 31 लोगों पर विभिन्न थानों में प्रकरण दर्ज कराया है.

मनीष सिंह, कलेक्टर
80 लाख से अधिक का राशन घोटालाइस पूरे मामले में 51 हजार 96 हितग्राहियों के अनाज की कालाबाजारी की गई. इन लोगों को प्राथमिक आवश्यकता से वंचित किया गया, जो सिर्फ कानून ही नहीं बल्कि नैतिक रूप से भी अक्षम अपराध है. प्रशासन ने जांच के दौरान पाया कि दुकानदार योजना के तहत राशन का फायदा उठाकर उस में गड़बड़ी कर रहे थे. उसे वितरित नहीं कर रहे थे. जिन दुकानों में खाद्यान्न का स्टॉक कम प्राप्त हुआ है, उन दुकानों में इस हेराफेरी का खुलासा हुआ है. फिलहाल इस पूरे मामले में तीन प्रमुख आरोपियों भरत दवे, श्याम दवे और प्रमोद दहीगुड़े के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की जा रही है.
भरत दवे पर रासुका की कार्रवाई

कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि आरोपी भरत दवे और प्रमोद दहीगुड़े के सहयोग से उनके परिजन और परिचितों द्वारा दुकानें संचालित की जा रही थी. इस संबंध में मिली शिकायतों की जांच के बाद 12 शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को चिन्हित किया गया. दुकानों की जांच के लिए अनुविभागीय अधिकारियों के नेतृत्व में दल गठित किया गया. गठित दल द्वारा 12 जनवरी को इन 12 दुकानों के कारोबार स्थलों पर जाकर उनके रिकॉर्ड और पीओएस मशीन की जांच कर भौतिक सत्यापन किया गया, तो कई अनियमितताएं सामने आई. साथ ही मध्य प्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2015 के प्रावधानों का उल्लंघन होता पाया गया.

श्याम दवे भरत दवे पर रासुका की कार्रवाई

जांच के दौरान उक्त दुकानों के संचालन में आरोपी भरत दवे की संलिप्तता राशन माफिया के रूप में पाई गई. आरोपी भरत दवे द्वारा दुकान संघ का अध्यक्ष होने के कारण राशन की चोरी कर उसे अधिक दर पर बाजार में बेचकर धन कमाता था. कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों ने बताया कि छात्र प्राथमिक उपभोक्ता सहकारी समिति का उपाध्यक्ष श्याम दवे भी राशन घोटाले के कार्य में भरत दवे का सहयोगी था. इसी तरह तीसरा आरोपी प्रमोद दहीगुड़े तीन दुकानों का संचालन करता था. उसके द्वारा भी राशन की हेराफेरी कर आर्थिक लाभ कमाया जा रहा था.

प्रमोद दहीगुड़े भरत दवे पर रासुका की कार्रवाई

प्रभारी फूड कंट्रोलर भी थे राशन माफियाओं के साथ संलिप्त

प्रभारी फूड कंट्रोलर आरसी मीणा की भूमिका इन राशन माफियाओं के साथ संलिप्त पाई गई थी. राशन गरीबों को उनके हक के अनुसार सही वितरण हों, इस संबंध में आरसी मीणा की जिम्मेदारी थी, लेकिन कई बार आपूर्ति अधिकारियों द्वारा जांच करने पर आरसी मीणा उन्हें रोक दिया करते थे. खाद्य निरीक्षकों का भविष्य खराब करने की धमकी भी देते थे. हालांकि, अब प्रभारी फूड कंट्रोलर को निलंबित किया जा चुका है. निलंबन के दौरान उनका जिला अलीराजपुर किया गया है, ताकि यहां पर जांच पूरी हो सकें.

राशन माफियों ने 51 हजार परिवारों के राशन का किया गबन

जांच दल द्वारा 12 उचित मूल्य दुकानों के निरीक्षण के दौरान 185625 किलो गेहूं, 69855 किलो चावल, नमक 3169 किलो, शक्कर 423 किलो, चना दाल 2201 किलो, साबुत चना 1025 किलो, तुअर दाल 472 किलो, केरोसीन 4050.5 लीटर के रिकार्ड में गड़बड़ी पाई गई है. इस तरह राशन माफियाओं ने कुल 2,55,480 किलो खाद्यान्न का गबन कर 79 लाख 4 हजार 479 रुपये का आर्थिक घोटाला किया. इसके अलावा राशन माफियाओं ने 51096 हितग्राहियों को राशन से वंचित किया, जो न सिर्फ कानून बल्कि नैतिक रूप से भी अक्षम्य अपराध है.

Last Updated : Jan 19, 2021, 9:56 PM IST

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