इंदौर।महिला जज को उनके जन्मदिन के मौके पर रतलाम के एक वकील द्वारा बधाई और मैसेज करना भारी पड़ गया था. जज ने इस पूरे मामले में कार्रवाई करते हुए वकील को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया था, लेकिन अधिवक्ता ने इंदौर उच्च न्यायालय के समक्ष जमानत अर्जी दाखिल की, जिस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने उसे सशर्त जमानत दे दी.
बता दें कि, महिला जज को जन्मदिन की बधाई देने के मामले में रतलाम के वरिष्ठ अधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. कार्रवाई के तहत उसे जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया था. इस पूरे मामले में जेल में बंद अधिवक्ता ने कई बार जमानत की कोशिश की, लेकिन हर बार अलग-अलग तरह की दलीलों को देखते हुए उसकी जमानत अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया.
27 अप्रैल को अधिवक्ता विजय सिंह यादव की ओर से न्यायालय के समक्ष जमानत अर्जी पेश की गई. इसे अदालत ने खारिज कर दिया. 14 जून को एक बार फिर इस पूरे मामले में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जमानत अर्जी इंदौर उच्च न्यायालय के सामने पेश की गई. इस बार कोर्ट ने अधिवक्ता की विभिन्न दलीलों से सहमत होते हुए उसे सशर्त जमानत दे दी. मामले की सुनवाई इंदौर हाईकोर्ट के जज सुबोध अभ्यंकर की अदालत में हुई. सुनवाई के बाद जस्टिस ने वकील को 50 हजार के निजी मुचलके के साथ ही सशर्त जमानत दे दी.
नौ फरवरी से एडवोकेट था जेल में
जज को जन्मदिन की बधाई देने के मामले में अधिवक्ता नौ फरवरी से जेल की सलाखों के पीछे था. इस दौरान उसने जमानत के लिए सत्र अदालत के साथ-साथ उच्च न्यायालय में भी कई बार कोशिश की, लेकिन विभिन्न दलीलों को देखते हुए अदालत ने उसे खारिज कर दिया. इस बार अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष विभिन्न दलीलें रखीं. इसके बाद अदालत में एडवोकेट के विभिन्न तर्कों से सहमत होकर उसे सशर्त जमानत दे दी गई.