इंदौर। 1857 की क्रांति में ग्वालियर के सिंधिया राजघराने द्वारा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का साथ नहीं देने को लेकर इस परिवार पर गद्दारी के आरोप लगते रहे हैं. सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता में भी इसका जिक्र किया गया जो इतिहास में दर्ज हो गया. सिंधिया परिवार पर अंग्रेजों का साथ देने और देश से गद्दारी करने के आरोपों पर पहली बार सिंधिया परिवार ने जवाब दिया है. अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने परिवार पर लगे गद्दारी के आरोपों पर सफाई दी और सिंधिया परिवार को गौरवशाली इतिहास के बारे में खुलकर बोले.
राणोजी सिंधिया और मल्हार राव होल्कर का किया जिक्र
सिंधिया परिवार पर अक्सर लगने वाले गद्दारी के आरोपों पर पहली बार परिवार के वंशज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पब्लिक डोमिन में खुलकर बात की. उन्होंने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि बाजीराव पेशवा के दाहिने हाथ मेरे पूर्वज राणोजी महाराज थे और छत्रपति शिवाजी बाएं हाथ इंदौर रियासत के राजा मल्हार राव होलकर थे. उन्होंने बताया कि पानीपत की लड़ाई के दौरान मुगल शासक अहमद शाह अब्दाली की फौज ने सिंधिया परिवार के इन तीनों वंशजों का सर काट कर मराठों की सेना को डराने के लिए बरछे में डालकर लहराया था. अपने पूर्वज दत्ताजी महाराज का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नजीब्दुल्ला ने मेरे पूर्वज दत्ता जी महाराज को गोली मारने के पहले पूछा था कि क्यों दत्ता जी और लड़ोगे तो दत्ताजी महाराज ने कहा था कि जिएंगे तो लड़ेंगे यह है सिंधिया परिवार का बलिदान और इतिहास
यह लगते हैं सिंधिया राजघराने पर आरोप
ऐतिहासिक संदर्भ के मुताबिक 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सिंधिया राजघराने पर अंग्रेजों का साथ देने और देश से गद्दारी करने के आरोप लगते हैं. कहा जाता है कि सिंधिया के साथ न देने की वजह से ही झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गई थीं. रानी के बलिदान के बाद अंग्रेजों ने तात्या टोपे को भी हिरासत में ले लिया था और इसके बाद 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को पूरी तरह कुचल दिया गया था. इस संदर्भ का उल्लेख प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने भी अपनी एक कविता में किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि...
रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर, गया स्वर्ग तत्काल सिधार
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने, फिर खाई रानी से हार
विजय रानी आगे चल दी किया ग्वालियर पर अधिकार
अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी