इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर ने एक और उपलब्धि अपने नाम की है. इंदौर वाटर प्लस रैंकिंग (Water Plus City) में भी नंबर एक पर आया है. देश के तमाम शहरों के बीच हुई कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद इंदौर को वाटर प्लस शहर के खिताब से नवाजा गया है. इंदौर देश का एकमात्र शहर है, जिसे वाटर प्लस रैंकिंग के लिए चुना गया है. इंदौर की इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बधाई दी है.
कुछ महीने पहले हुआ था सर्वे
कुछ महीने पहले हुए वाटर प्लस रैंकिंग (Water Plus Ranking) के सर्वे में इंदौर को सबसे मजबूत दावेदार माना जा जा रहा था, फिर भी प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी थी. इस सर्वे के लिए दूषित जल प्रबंधन को लेकर केंद्रीय टीम सर्वे करने के लिए इंदौर पहुंची थी. टीम ने कम्युनिटी टॉयलेट पब्लिक टॉयलेट (सीटीपीटी) के साथ 11 पैरामीटर पर सर्वे किया था. 11 पैरामीटर्स पर करीब 200 लोकेशन देखने के बाद इंदौर को वाटर प्लस सर्टिफिकेट दिया गया है.
इंदौर नगर निगम ने की नाला टैपिंग
देश के किसी शहर में अपने तरह के इस प्रयोग के लिए इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) ने 300 करोड़ रुपए में नाला टैपिंग कर दोनों नदियों और 27 नालों को सीवर मुक्त करने का काम किया है. शहर के पांच हजार से ज्यादा परिवारों ने 20 करोड़ खर्च कर नाले में सीधे गिरने वाले आउटफॉल को बंद कर ड्रेनेज लाइन में कनेक्शन लिया. मध्यप्रदेश जनसंपर्क ने भी ट्वीट कर इंदौर नगर निगर को इस सफलता के लिए बधाई दी है.
सर्वे के लिए तय किए गए थे 11 पैरामीटर
सर्वे के लिए केन्द्र सरकार ने वाटर प्लस के 11 पैरामीटर तय कर कुल 1800 नंबर तय किये थे. इनमें वाटर प्लस के 700 नंबर हैं. पिछली बार इंदौर को 500 नंबर मिले थे. हालांकि इस बार इंदौर में वाटर प्लस (Water Plus Ranking City) के लिए जरूरी नंबर हासिल कर लिया है. सेवन स्टार रैंकिंग के लिए इंदौर का मुकाबला सूरत, अहमदाबाद और मुंबई से था, इंदौर को इस सर्वे में स्वच्छता के साथ अवशेष प्रबंधन और जल निस्तारण की सफल प्रक्रिया का लाभ मिला है.
3 साल से इंदौर नगर निगम कर रहा था तैयारी
सेवन स्टार रैंकिंग के लिए इंदौर बीते तीन साल से तैयारियां कर रहा था, नगर निगम ने 300 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च कर शहर की प्रमुख दो नदियों में अपशिष्ट जल प्रवाह को रोका है, इसके लिए बड़े पैमाने पर शहर के तमाम नालों को नदियों में मिलने से रोका गया. इसके अलावा करीब 20 करोड़ रुपए खर्च कर दूषित पानी को भी नदियों से जाने से रोका गया. इसके अलावा सेवन स्टार रैंकिंग के लिए नगर निगम के 311 एप पर होने वाली शिकायतों के त्वरित निराकरण का भी लाभ इंदौर को मिला.
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वाटर प्लस के प्रोटोकॉल
स्वच्छ भारत मिशन (Clean India Mission) के तहत उन शहरों के बीच स्वच्छता के साथ अपशिष्ट जल प्रबंधन को लेकर कड़ी स्पर्धा चल रही है, जो वाटर प्लस रैंकिंग की श्रेणी हासिल करना चाहते हैं. वाटर प्लस प्रोटोकॉल के तहत शहर के आवासीय घरों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से निकलने वाले अपशिष्ट जल को जल स्रोतों में छोड़ने से पहले उसे उपचारित करने के मापदंड शहरी विकास मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए थे.
7 स्टार रैंकिंग के लिए 1100, वाटर प्लस के लिए 700 अंक
विभिन्न मापदंडों को पूरा करने पर अलग अलग अंक निर्धारित किये गये थे, ये अंक संबंधित क्षेत्रों को उनके जल प्रबंधन के प्रयासों और प्रयोगों को ध्यान में रखते हुए दिए गए हैं, वाटर प्लस सर्टिफिकेशन के 1800 नंबर में से 7 स्टार रैंकिंग के लिए 1100 नंबर और वाटर प्लस के लिए 700 अंक निर्धारित थे, जोकि इंदौर को मिले हैं.
3 साल से इंदौर नगर निगम कर रहा था तैयारी
इंदौर नगर निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल ने बताया कि वाटर प्लस के लिए दो-तीन मापदंड थे, जिनमें पहला ग्रे और ब्लैक वाटर यानि गंदा पानी नदियों में जाने से रोकना था, इसके लिए इंदौर ने सर्वे किया और 7000 से ज्यादा ऑउटपोल को नदियों में जाने से रोका है, जो सीधे नदियों में जाकर गिरते थे. इसके अलावा शहर के सीवर लाइन के पानी का उपयोग कंस्ट्रक्शन के अलावा सार्वजनिक शौचालयों में किया गया, इसके अलावा स्वच्छता को लेकर इंदौर की जागरूकता का भी बहुत बड़ा योगदान है. कई लोगों ने तो अपने खर्च पर नदी-नालों को साफ करने का काम किया है, सबके सहयोग से ही वाटर प्लस की रैंकिंग में टॉप करने में सहयोग किया.
इन सात बिंदुओं पर फोकस करना जरूरी
- सभी घर ड्रेनेज लाइन या सेप्टिक टैंक से कनेक्टेड होने चाहिए, हर घर के सीवरेज ढके होने चाहिए.
- नदी-नाले में किसी प्रकार का सूखा कचरा तैरता नजर नहीं आना चाहिए.
- सीवरेज वाटर का ट्रीटमेंट कर कम से कम 25 प्रतिशत पानी सड़क धुलाई, गार्डन, खेती व अन्य में उपयोग किया जाना चाहिए.
- सभी ड्रेनेज के ढक्कन बंद होने चाहिए और उनसे गंदा पानी बहकर सड़क पर नहीं आना चाहिए.
- चैंबर और मेन होल साल में कम से कम एक बार साफ किये जाने चाहिए.
- ड्रेनेज की लाइनें जाम नहीं होनी चाहिए.
- एप पर आने वाली ड्रेनेज संबंधी शिकायतों का त्वरित समाधान किया जाना चाहिए.