इंदौर।देश में एक तरफ शहरों को ग्रीन करने का काम किया जाता है, तो वहीं दूसरी ओर आए दिन नई-नई बिल्डिंग बनाई जा रही हैं, हालात तो तब और खराब हो जाती है, जब शहरों में घर ज्यादा देखने को मिलते हैं और पेड़ों की संख्या कम दिखाई देने लगती है. प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर शहर के सार्वजनिक पार्कों पर धड़ल्ले से अतिक्रमण जारी है. ये पार्क शहर में पर्यावरण को बनाए रखने के लिए अत्यंत जरूरी है, लेकिन इन पार्कों की जगह अब पक्के निर्माण किए जा रहे हैं.
पार्कों पर तेजी से हो रहा अतिक्रमण अतिक्रमण मस्त, जिम्मेदार पस्त!
स्मार्ट सिटी की रेस में हर इलाके में सार्वजनिक पार्क के लिए कुछ स्थानों को छोड़ा जाता है, लेकिन इन स्थानों पर भी अब कब्जा किया जा रहा है. एक ओर जहां इन पार्कों पर अतिक्रमण की शिकायतें सामने आ रही हैं तो वहीं जिम्मेदार भी कब्जा करने वाले लोगों पर कार्रवाई करने के लिए सुस्त हैं, जिसके चलते शहर की आबादी के आधे बगीचे भी नहीं बचे हैं. हालांकि अब लोग इन पार्क के लिए जागरूक हो रहे हैं, कोरोना महामारी के चलते पर्यावरण पर भी अब जोर दिया जा रहा है, जिसके कारण कई बड़ी टाउनशिप में पार्कों की मांग की जाने लगी है.
शहर में कितनी है पार्कों की संख्या
इंदौर शहर में टीएनसी एक्ट के मुताबिक 10 से 11 फीसदी जमीन बगीचों के लिए छोड़ना अनिवार्य है. शहर की जनसंख्या के हिसाब से 2200 बगीचे शहर में मौजूद होना चाहिए, लेकिन शहर में फिलहाल दस्तावेजों में 800 से 1100 बगीचे ही दर्ज हैं. इसके साथ ही किस बगीचे में कितने वृक्ष लगे हुए हैं, इसकी जनगणना भी अभी तक नहीं की गई है. लगातार हो रहे कब्जों के चलते शहर के पर्यावरण का अनुमान भी अधिकारी नहीं लगा पा रहे हैं.
अतिक्रमण रोकने के लिए करनी होगी तैयारी
शहर में बगीचे और हरे भरे स्थानों की सरकारी भूमि पर तेजी से अतिक्रमण जारी है. अतिक्रमण की शिकायत के लिए ना तो कोई टोल फ्री नंबर बनाया गया है और ना ही इसकी शिकायत के लिए किसी प्रकार की जागरूकता आम जनता मतक चलाई जा रही है, जिसके चलते लगातार हो रहे अतिक्रमण पर कर्मचारियों को कार्रवाई करना भी आसान नहीं होता है. अतिक्रमण के लिए शिकायत का सही सिस्टम नहीं होने के चलते कई इलाकों के पार्क पर पक्के निर्माण कर लिए गए हैं.
जल्द से जल्द निकालना चाहिए कोई विकल्प
निगम अधिकारियों का ये भी कहना है कि यदि सार्वजनिक पार्कों पर किसी प्रकार की कब्जे की शिकायत सामने आती हैं तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. हालांकि अब शहर में मौजूद बगीचों को लेकर आम जनता जागरूक हो रही है. कई इलाकों में विकसित कॉलोनियों में लोग घर खरीदने से पहले बगीचे के लिए एग्रीमेंट कर रहे हैं, लेकिन पुराने शहर में मौजूद बगीचों पर तेजी से कब्जा किया जा रहा है, जिसके लिए जिम्मेदार प्रशासन को कोई विकल्प जल्द से जल्द निकालना चाहिए.
कब लगेगा अतिक्रमण पर विराम ?
शहर का निगम प्रशासन कार्रवाई का आश्वासन तो दे रहा है, लेकिन कार्रवाई कब की जाएगी और कैसे की जाएगी ये तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन इंदौर शहर में आबादी की जनसंख्या के हिसाब से आधे बगीचे भी मौजूद नहीं हैं. न तो इन पार्कों की सही संख्या नगर निगम के पास है और ना ही इन पार्कों में लगे पौधों की जनगणना की गई है. इस पूरे मामले को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में भी एक केस विचाराधीन है, इसके बावजूद शहर में मौजूद पार्कों की जमीन पर लगातार कब्जा किया जा रहा है.