इंदौर। शहर में करोना (Corona) महामारी के बाद अब ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ती ही जा रही है. ब्लैक फंगस बीमारी के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया है. इंदौर में कई मरीज ऐसे भी सामने आ रहे हैं, जिन्हें कोरोना बीमारी नहीं हुई, लेकिन ब्लैक फंगस बीमारी से ग्रसित हो गए हैं. इंदौर में करीब आठ मरीज ऐसे मिले हैं, जिन्हें कोरोना बीमारी नहीं हुई, लेकिन ब्लैक फंगस की वजह से वह ग्रसित है.
इंदौर में मिले आठ मरीज
इस पूरे मामले पर एमवॉयएच के डॉक्टर वीपी पांडे का कहना है कि ब्लैक फंगस के जो मरीज आ रहे हैं. उनमें या तो हल्के करोना के लक्षण थे और वो ठीक हो गए हैं. हल्के लक्षणों ने इन मरीजों के इम्यून सिस्टम (Immune System) को प्रभावित किया हो, इस वजह से इस तरह के मरीजों को ब्लैक फंगस होने की संभावना जताई जा रही है.
सामान्य व्यक्ति में भी नजर आ रहे लक्षण
हालांकि अधिकारिक तौर पर अभी शहर में 175 ब्लैक फंगस के मरीजों का अलग-अलग अस्पतालों में उपचार हो रहा है. डॉक्टर पांडे के अनुसार ब्लैक फंगस के लक्षण अगर सामान्य व्यक्ति में भी नजर आ रहे हैं, तो उन्हें नजरअंदाज न करते हुए तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लेकर इलाज शुरू कर देना चाहिए.
एक तरह का फफूंद है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस (Black Fungus) का साइंटिफिक (Scientific) नाम म्यूकर माइकोसिस (Muker mycosis) या ब्लैक फंगस है. यह एक फफूंद की तरह होता है. ब्लैक फंगस वातावरण में पाये जाने वाले फफूंद की वजह से होता है. खासकर मिट्टी में इसकी मौजूदगी ज्यादा होती है।
कम प्रतिरोधक क्षमता वालों को होता है फंगस
अधिकतम यह कोरोना (Corona) से संक्रमित हुए मरीजों में होता है. ज्यादातर यह उन मरीजों में होता है, जिन्हें शुगर (Diabetes) की बीमारी हो या फिर उनकी प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) कम हो. दरअसल ब्लैक फंगस उन्हीं लोगों पर अटैक (Attack) करता है, जिनकी इम्यूनिटी (Immunity) कमजोर होती है. क्योंकि शुगर (Sugar) के मरीज लंबे समय से स्टेरॉइड्स (Steroids) का इस्तेमाल करते हैं. जिसके चलते उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में ब्लैक फंगस को शुगर के मरीजों को अपना शिकार बनाना आसान हो जाता है.
इन परिस्थितियों में होता है ब्लैक फंगस
- जो कोरोना से संक्रमित हो चुके हों.
- जो शुगर बीमारी से ग्रसित हों.
- जो लंबे समय से स्टेराइड ले रहे हों.
- जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो.
- जो लंबे समय से ऑक्सीजन पर हों.
- जिनका कैंसर का इलाज हो रहा हो.
- जिन्होंने शरीर का कोई अंग ट्रांसप्लांट (Transplant) कराया हो.